ज्योतिषाचार्य पं. अरविंद तिवारी ने बताया कि राहुल गांधी का जन्म 19 जून 1970 को सुबह 6:00 बजे दिल्ली में हुआ था । मिथुन लग्न और धनु राशि के जातक हैं राहुल गांधी का जन्म नक्षत्र ज्येष्ठा नक्षत्र के चौथे चरण का जन्म है । कुंडली के अनुसार प्रधानमंत्री के घर में जन्न लेने के कारण जातक को समाज में प्रसिद्धि तो मिलेगी पर स्वयं का व्यक्तित्व नहीं होगा । लेकिन इनके भाग्य का उदय शादी के बाद ही होगा और गंभीर नेतृत्व वाले नेता भी बन जायेंगे ।
शादी करेंगे तो भविष्य चमकेगा
राहुल गांधी की कुंडली के लग्न में सूर्य और मंगल की युति है, मंगल सप्तम भाव को देख रहा है जिसके चलते भविष्य में भी शायद ही उनका विवाह होगा, लेकिन अगर संयोगवश उनका विवाह हो गया तो वे देश के प्रधानमंत्र बन सकते है । राहुल गांधी की कुंडली में लग्नेश बुध बारहवें भाव में है, मेष राशि का शनि एकादश भाव में है, दशम भाव का स्वामी बृहस्पति वक्री होकर पंचम भाव में पड़ा हुआ है, कुंडली के तीसरे भाव में केतु वक्री है, भाग्य स्थान में राहु है, द्वितीय भाव में पंचम भाव का स्वामी शुक्र 9 डिग्री का हो पर पड़ा हुआ है, कुंडली के मुताबिक माता के अधिक स्नेही होने के कारण राजनीति में ज्यादा कुछ नहीं कर पायेंगे । एकादश भाव में नीच का शनि पंचम भाव यानी राजनीति के भाव को देख रहा है जिसके चलते उनको बचपन में पिता का सुख नहीं मिल पाया ।
पं. तिवारी ने बताया अगर किसी जातक की कुंडली में बुध शुक्र कमजोर स्थिति में पड़ रहते है तो वह जातक समाज में उच्च पद पर होने के बावजूद भी हंसी का पात्र बनता है । वहीं लग्न का स्वामी ग्रह बुध जो की बुद्धि और वाणी का कारक है लग्न से बारहवें भाव में पड़ा है जिसके कारण राहुल गांधी कभी भी उत्तम वक्ता नहीं बन सकते, राजनीति में यश और मान सम्मान दिलाने वाला ग्रह यानि पराक्रम भाव का स्वामी ग्रह सूर्य 3 डिग्री का होकर लग्न में पड़ा हुआ है जिसके चलते जातक भविष्य में राजनीति के सर्वोच्च स्थान तक नहीं पहुंच सकते ।
वर्तमान में राहुल गांधी के ऊपर जो महादशा चल रही है वह मंगल की अर्थात छठे भाव की महादशा चल रही है, जो कि 10 फरवरी 2024 तक चलेगी । इनकी कुंडली में यदि मंगल की स्थिति को देखा जाए तो वह लग्न में स्थित होकर पड़ा हुआ है जो कि राहुल की राशि स्वामी भी है, वर्तमान में शनि की साढ़ेसाती भी इनके ऊपर चल रही है, अगर किसी जातक की कुंडली में शनि नीच का होकर यानी मेष राशि का होकर एकादश भाव में पड़ा हुआ है जो कि राजनीति के भाव यानी पंचम भाव पर अपनी दृष्टि डाल रहा है ।