scriptनवरात्रि का 7वां दिन : मंगलमय जीवन के लिए करें मां कालरात्रि की पूजा | Shardiya Navratri 2019: 7th day of navratri | Patrika News

नवरात्रि का 7वां दिन : मंगलमय जीवन के लिए करें मां कालरात्रि की पूजा

locationभोपालPublished: Oct 05, 2019 10:26:43 am

Submitted by:

Devendra Kashyap

मां दुर्गा पृथ्वी को बुरी शक्तियों से बचाने के लिए और पाप को फैलने से रोकने के लिए अपने तेज से कालरात्रि रूप को उत्पन्न किया था।

worship of maa kalratri
नवरात्र के 7वें दिन नवदुर्गा के कालरात्रि रूप की पूजा की जाती है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, मां दुर्गा पृथ्वी को बुरी शक्तियों से बचाने के लिए और पाप को फैलने से रोकने के लिए अपने तेज से इस रूप को उत्पन्न किया था। इनका रंग काला होने के कारण कालरात्रि कहा जाता है जबकि इनकी पूजा शुभ फलदायी होने के कारण इन्हें ‘शुभंकरी’ कहा जाता है।
धार्मिक मान्यता है कि मां कालरात्रि की पूजा करने से समस्त सिद्धियां प्राप्त होती हैं। माता कालरात्रि तंत्र साधना करने वालों के बीच बेहद प्रसिद्ध हैं। माना जाता है कि मां की पूजा करने से दुष्टों का नाश होता है और ग्रह बाधाएं दूर हो जाती हैं।
इसलिए देवी दुर्गा बनीं कालरात्रि

मां कालरात्रि का शरीर काला है और इनके बाल बिखरे हुए हैं। माता के गले में माला है, जो बिजली की तरह चमकता है। माता के चार हाथ है। एक हाथ में कटार तो दूसरे हाथ लोहे का कांट हैं। जबकि अन्य दो हाथ वरमुद्रा और अभय मुद्रा में हैं। मा कालरात्रि के तीन नेत्र है और इनके श्वास से अग्नि निकलती है। कालरात्रि का वाहन गर्दभ (गधा) है।
क्यों हुई मां कालरात्रि की उत्पत्ति

पौराणिक कथाओं के अनुसार, राक्षस शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज ने तीनों लोक में हाहाकार मचा रखा था। यह देखकर सभी देवतागण भगवान शिव के पाच पहुंचे। भगवान शिव ने देवताओं की बात सुनकर देवी पार्वती से राक्षसों का वध कर भक्तजन की रक्षा करने को कहा। इसके बाद देवी पार्वती ने दुर्गा का स्वरूप धारण किया और दैत्य शुंभ-निशुंभ का वध कर दिया।
शुंभ-निशुंभ का वध करने के बाद मां दुर्गा रक्तबीज को मारा, तो उसके शरीर से निकले रक्त से लाखों रक्तबीज उत्पन्न हो गए। इसे देखकर मां दुर्गा ने अपने तेज से कालरात्रि को उत्पन्न किया। इसके बाद मां कालरात्रि ने रक्तबीज को मारा और उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को अपने मुख में भर लिया। इस तरह मां ने सबका गला काटते हुए रक्तबीज का वध किया।
मां को गुड़ का भोग प्रिय

नवरात्रि के सप्तमी तिथि के दिन मां दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस दिन देवी कालरात्रि की पूजा में गुड़ का भोग लगाकर ब्राह्मण को दे देना चाहिए। ऐसा करने से पुरुष शोकमुक्त हो सकता है और मां कालरात्रि की कृपा उस पर हर वक्त बनी रहती है।
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