मां दुर्गा के छठे स्वरूप का नाम कात्यायनी क्यों? पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी कात्यायनी कात्यायन ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर उनके घर जन्म ली थी। इसलिए इस देवी का नाम कात्यायनी पड़ा। कात्यायनी देवी की चार भुजाएं है। देवी कात्यायनी के एक हाथ में तलवार और दूसरे में पुष्प कमल है। जबकि अन्य दो हाथ वरमुद्रा और अभयमुद्रा में हैं। इनका वाहन सिंह है।
ये भी पढ़ें- दुनिया के सबसे बड़े मंदिरों में शामिल है मां कात्यायनी का ये दरबार कात्यायनी पूजा-विधि देवी कात्यायनी की पूजा गोधूली बेला के समय करना चाहिए। देवी कात्यायनी के पूजन के वक्त पीले या लाल वस्त्र धारण करनी चाहिए। माता कात्यायनी को पीले पुष्प और पीले रंग के मिष्ठान अर्पित करना चाहिए। देवी कात्यायनी को शहद अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
देवी कात्यायनी की पूजा से विवाह से संबंधित समस्याएं दूर होती है ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मां कात्यायनी का संबंध बृहस्पति ग्रह से है। इसलिए महिलाओं को विवाह संबंधी किसी भी समस्या के लिए इनकी पूजा अत्यंत शुभकारी माना गया है। इसके अलावा दाम्पत्य जीवन से संबंध होने के कारण इनका संबंध शुक्र से भी है।
देवी कात्यायनी की पूजा से मिलते हैं ये लाभ देवी कात्यायनी की पूजा से करने से शीध्र विवाह के योग बनते हैं। यही नहीं, देवी कात्यायनी की पूजा से मनचाहा विवाह और प्रेम विवाह के भी प्रबल योग बनते हैं। अगर वैवाहिक जीवन में खुशहाली चाहते हैं तो नवरात्रि मां कात्यायनी की पूजा अवश्य करें। अगर आपकी कुंडली में विवाह योग में किसी प्रकार के दोष हैं तो मां कात्यायनी की पूजा करने से दूर हो जाएंगे।