5 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

पितृ पक्ष 2019 : पितृ आरती एवं पित्र स्त्रोत पाठ

Shraddh 2019 : Pitra Stotra, pitru devo ki aarti : गरूड़ पुराण में कहा गया है कि इस पितृ स्तुति एवं आरती का पाठ करने वाली संतानों से पितृ प्रसन्न होकर अतृप्त आत्माएं तृप्त हो जाती है।

2 min read
Google source verification

भोपाल

image

Shyam Kishor

Sep 12, 2019

पितृ पक्ष में पितरों को मनाने के लिए जरूर करें पितरों की आरती एवं चालीसा का पाठ

पितृ पक्ष में पितरों को मनाने के लिए जरूर करें पितरों की आरती एवं चालीसा का पाठ

इस पितृ पक्ष में अपने पूर्वज पितरों का श्राद्ध तर्पण, पिंडदान करने के बाद पुराणों में दी गई इस पितृ आरती एवं पितृ स्तुति का पाठ श्रद्धापूर्वक करना चाहिए। गरूड़ पुराण में तो यहां तक कहा गया है कि इस पितृ स्तुति एवं आरती का पाठ करने वाली संतानों से पितृ प्रसन्न होकर अतृप्त आत्माएं तृप्त हो जाती है।

पितृ पक्ष 2019 : पितृ चालीसा का पाठ करने से दूर हो जाती है जीवन की बाधाएं

।। अथ पितृस्तोत्र ।।

अर्चितानाममूर्तानां पितृणां दीप्ततेजसाम्।
नमस्यामि सदा तेषां ध्यानिनां दिव्यचक्षुषाम्।।
इन्द्रादीनां च नेतारो दक्षमारीचयोस्तथा।
सप्तर्षीणां तथान्येषां तान् नमस्यामि कामदान्।।
मन्वादीनां च नेतार: सूर्याचन्दमसोस्तथा।
तान् नमस्यामहं सर्वान् पितृनप्युदधावपि।।
नक्षत्राणां ग्रहाणां च वाय्वग्न्योर्नभसस्तथा।
द्यावापृथिवोव्योश्च तथा नमस्यामि कृताञ्जलि:।।
देवर्षीणां जनितृंश्च सर्वलोकनमस्कृतान्।
अक्षय्यस्य सदा दातृन् नमस्येहं कृताञ्जलि:।।

प्रजापते: कश्पाय सोमाय वरुणाय च।
योगेश्वरेभ्यश्च सदा नमस्यामि कृताञ्जलि:।।
नमो गणेभ्य: सप्तभ्यस्तथा लोकेषु सप्तसु।
स्वयम्भुवे नमस्यामि ब्रह्मणे योगचक्षुषे।।
सोमाधारान् पितृगणान् योगमूर्तिधरांस्तथा।
नमस्यामि तथा सोमं पितरं जगतामहम्।।
अग्रिरूपांस्तथैवान्यान् नमस्यामि पितृनहम्।
अग्रीषोममयं विश्वं यत एतदशेषत:।।
ये तु तेजसि ये चैते सोमसूर्याग्रिमूर्तय:।
जगत्स्वरूपिणश्चैव तथा ब्रह्मस्वरूपिण:।।
तेभ्योखिलेभ्यो योगिभ्य: पितृभ्यो यतामनस:।
नमो नमो नमस्तेस्तु प्रसीदन्तु स्वधाभुज।।

पितर पक्ष में पंचबली भोग लगाना न भूले, नहीं तो भूखी ही वापस चली जाएंगी पित्रों का आत्मा

- उपरोक्त पितृ स्तुति का पाठ करने के बाद नीचे दी गई पितृ आरती श्रद्धा पूर्वक करें।

।। अथ पितृ आरती ।।

जय जय पितर महाराज, मैं शरण पड़यों हूं थारी।
शरण पड़यो हूँ थारी बाबा, शरण पड़यो हूं थारी।।

आप ही रक्षक आप ही दाता, आप ही खेवनहारे।
मैं मूरख हूँ कछु नहिं जाणूं, आप ही हो रखवारे।।
जय जय पितर महाराज, मैं शरण पड़यों हूं थारी।।

आप खड़े हैं हरदम हर घड़ी, करने मेरी रखवारी।
हम सब जन हैं शरण आपकी, है ये अरज गुजारी।।
जय जय पितर महाराज, मैं शरण पड़यों हू थारी ।।

देश और परदेश सब जगह, आप ही करो सहाई।
काम पड़े पर नाम आपको, लगे बहुत सुखदाई।।
जय जय पितर महाराज, मैं शरण पड़यों हूं थारी ।।

भक्त सभी हैं शरण आपकी, अपने सहित परिवार।
रक्षा करो आप ही सबकी, रटूं मैं बारम्बार।।
जय जय पितर महाराज, मैं शरण पड़यों हूं थारी।।

जय जय पितर महाराज, मैं शरण पड़यों हूं थारी।
शरण पड़यो हूं थारी बाबा, शरण पड़यो हूं थारी।।
जय जय पितर महाराज, मैं शरण पड़यों हूं थारी।।

पितृ आरती समाप्त

*******************