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Skand Shashthi 2023 Katha: पढ़िए स्कंद के जन्म की कथा, किस राक्षस को किया परास्त

भगवान कार्तिकेय के जन्म की कथा (Skand Shashthi 2023 Katha) बहुत रोचक है। स्कंद षष्ठी (Skanda Shashthi 2023) पर आइये बताते हैं आपको पूरी कहानी।

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Pravin Pandey

Feb 16, 2023

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Skand Shashthi Vrat Katha: एक कथा के अनुसार जब माता सती पिता दक्ष के यज्ञ में कूद कर भस्म हो गईं तो शिवजी आहत होकर तपस्या में लीन हो गए। इसके कारण सृष्टि शक्तिहीन हो गई। इस मौके का फायदा उठाकर दैत्य तारकासुर अपना आतंक फैला देता है।


इसके बाद हुए देव दानव युद्ध में देवता पराजित होते हैं, चारों तरफ हाहाकार मच जाता है। इस पर देवता ब्रह्माजी के पास पहुंचते हैं, वो इस समस्या का हल पूछते हैं। इस पर ब्रह्माजी ने देवताओं को बताया कि शिव पुत्र ही तारकासुर का वध करेगा।


इंद्र और अन्य देवता अपनी प्रार्थना लेकर शिवजी के पास जाते हैं। यहां आदि शक्ति की अवतार पार्वती से विवाह के बारे में पूछते हैं। बाद में भगवान भोलेनाथ आदिशक्ति की इस अवतार की उनके प्रति अनुराग की परीक्षा लेते हैं और उनकी सफलता पर फाल्गुन में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी यानी महाशिवरात्रि के दिन दोनों का विवाह होता है। इसके बाद शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को कार्तिकेय जन्म का जन्म होता है और उनके युद्ध के लिए तैयार होने के बाद युद्ध में मुरुगन तारकासुर को हराते हैं।

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देश में कहां हैं कार्तिकेय के प्रमुख मंदिरः तमिलनाडु भगवान कार्तिकेय के मंदिरों के लिए जाना जाता है। भक्तों के लिए ये छह मुख्य तीर्थ स्थान माने जाते हैं।


1. पलनी मुरुगन मंदिर (कोयंबटूर से करीब 100 किमी दूर
2. स्वामीमलई मुरुगन मंदिर (कुंभकोणम के पास)
3. तिरुत्तनी मुरुगन मंदिर (चेन्नई से 84 किमी दूर)
4. पज्हमुदिर्चोलाई मुरुगन मंदिर (मदुरई से 10 किमी दूर)
5. श्री सुब्रह्मण्य स्वामी देवस्थानम् तिरुचेन्दुर (तूतुकुडी से 40 किमी दूर)
6. तिरुप्परनकुंद्रम मुरुगन मंदिर (मदुरई से 10 किमी दक्षिण में स्थित)

इसके अलावा मरुदमलै मुरुगन मंदिर (कोयंबटूर का उपनगर) भी प्रमुख तीर्थ स्थान है। इसके अलावा कर्नाटक के मंगलौर शहर के पास कुक्के सुब्रमणया मंदिर भी कार्तिकेय मंदिर है। लेकिन यह मुरुगन के उन छह निवास स्थानों का हिस्सा नहीं है जो तमिलनाडु में स्थित है।

कब है स्कंद षष्ठीः फाल्गुन महीने में स्कंद षष्ठी 25 फरवरी शनिवार को पड़ रही है। फाल्गुन षष्ठी की शुरुआत 25 फरवरी 12.31 एएम से हो रही है और यह तिथि 26 फरवरी 12.20 एएम तक है। दक्षिण भारत में यह व्रत छह दिन रखा जाता है, मान्यता है कि इसमें से एक दिन फलाहार किया जाता है। मान्यता है कि इससे सभी मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। स्कंद षष्ठी व्रत धारण करने वाले श्रद्धालु को ऊँ तत्पुरुषाय विधमहेः महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कंदा प्रचोदयात मंत्र का जाप किया जाता है।