बता दें कि पांडव जब वनवास पर थे, तब भगवान कृष्ण सत्यभामा के साथ काम्यक वन में उनसे मिलने आए थे। पांडवों के साथ श्रीकृष्ण आगे की रणनीति बना रहे थे। कि भविष्य में कब, कैसे और क्या करना है। उसी दौरान वहां से कुछ कदमों की दूरी पर सत्यभामा द्रौपदी के साथ बातचीत कर रही थीं। द्रौपदी के बात करते-करते उन्होंने कुछ बड़े सवाल किए जो आज भी लोगों के मन में रहते हैं। कि आखिर पांडव द्रौपदी के साथ कैसे रहते थे, और द्रौपदी का पांडवों के लिए कैसा व्यवहार था। सबसे पहले सत्यभामा ने द्रौपदी से सवाल किया था कि उनके पति शूरवीर हैं, तुम कैसे इन्हें वश में रखती हो।
उसके बाद द्रौपदी में सत्यभामा जो भी बातें कहीं वो आज भी मिसाल के तौर पर बताई जाती हैं। सत्यभामा के सवालों पर द्रौपदी के उत्तर न सिर्फ उस वक्त की महिलाओं के लिए वरदान थे बल्कि आज के समय में भी महिलाएं अपनी शादी-शुदा ज़िंदगी को बेहतर बनाने के लिए उनका अनुसरण करती हैं। आइए अब आपको बताते हैं कि द्रौपदी ने अपने उत्तर में क्या-क्या कहा था।
1. मेरा सर्वप्रथम कर्त्तव्य पांडवों की सेवा करना है। उनकी सेवा के लिए मैं अहंकार और क्रोध का त्याग देती हूं। मैं कभी भी कड़वी बातें नहीं करती, न सुनती हूं। पांडवों के अलावा किसी भी अन्य पुरुष के बारे में कभी मन में ख्याल नहीं लाती चाहे वो कितना भी धनी, सुंदर और गंधर्व ही क्यों न हो।
2. पांडवों के भोजन करने से पहले कुछ नहीं खाती। उनके स्नान करने के बाद ही स्नान करती हूं और यदि वे खड़े हों तो मैं कभी नहीं बैठती। 3. घर के सभी कामों को भलि-भांति समय पर करती हूं। अच्छा भोजन बनाकर पांडवों को समय पर परोसती हूं। आलस को कभी भी अपने आस-पास भी नहीं भटकने देती। पांडवों की तुलना में कभी बेहतर वस्त्र और आभूषण धारण नहीं करती।
4. पांडवों की मां की तन-मन-धन से सेवा करती हूं। उनसे कभी कोई विवाद नहीं करती। आखिरी में उन्होंने कहा कि शास्त्रों में एक पत्नी के कर्त्तव्यों और व्यवहार के लिए जो भी बातें कही गईं हैं सभी का पालन करती हूं।