
मंगलवार को माँ दुर्गा की ऐसी पूजा करने से हो जाती है एक साथ सैकड़ों कामना पूरी
मंगलवार के दिन माँ दुर्गा की विशेष पूजा करने का विधान है, इस दिन जो भी व्यक्ति अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए वैदिक पूजा विधान पद्धति से माता का पूजन करता है उसकी सभी मनोकामना माँ दुर्गा पूरी कर देती है। जानें मंगलवार के दिन माँ दुर्गा की विशेष पूजा विधि एवं उसके लाभ।
पूजा में ये सामग्री प्रयोग करें
माँ दुर्गा का पूजन श्रद्धापूर्वक करने से हर तरह की भौतिक एवं आध्यात्मिक कामनाएं पूरी होने लगती है। पंचमेवा, पंचमिठाई, रूई, कलावा, रोली, सिंदूर, गीला नारियल, अक्षत, लाल वस्त्र, फूल, 5 सुपारी, लौंग, पान के पत्ते 5, गाय का घी, चौकी, कलश, आम का पल्लव, समिधा, कमल गट्टे, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शर्करा), की थाली. कुशा, लाल चंदन, चंदन, जौ, तिल, सोलह श्रृंगार का सामान, लाल फूलों की माला।
ऐसे करें पूजन
- इस मंत्र का उच्चारण करते हुए माँ दुर्गा का ध्यान करें-
सर्व मंगल मागंल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्येत्रयम्बिके गौरी नारायणी नमोस्तुते॥
- इस मंत्र का उच्चारण करते हुए माँ दुर्गा का आवाहन करें-
श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। दुर्गादेवीमावाहयामि॥
- माता को आसन अर्पित करे-
श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। आसानार्थे पुष्पाणि समर्पयामि॥
- अर्घ्य अर्पित करें-
श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। हस्तयो: अर्घ्यं समर्पयामि॥
- स्नान करावें-
श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। स्नानार्थं जलं समर्पयामि॥
- पंचामृत स्नान करावें-
श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। पंचामृतस्नानं समर्पयामि॥
- शुद्ध जल से स्नान करावें-
श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि॥
- आचमन करावें-
शुद्धोदकस्नानान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि।
इसके बाद नीचे दिए पदार्थ एक एक करके अर्पित करें-
- वस्त्र अर्पित करें-
- सौभाग्य सू़त्र अर्पित करें-
- चन्दन अर्पित करें-
- कुंकुम अर्पित करें-
- आभूषण अर्पित करें-
- पुष्पमाला अर्पित करें-
- नैवेद्य प्रसाद अर्पित करें-
- ऋतुफल अर्पित करें-
- श्रद्धापूर्वक धूप-दीप से आरती करें
उपरोक्त विधि से आवाहन पूजन के बाद इनसें से किसी भी एक मंत्र का जप जो मनोकामना हो उसके पूर्ण होने की कामना से करें-
1- ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते॥
2- देवि प्रपन्नार्तिहरे प्रसीद प्रसीद मातर्जगतोखिलस्य।
प्रसीद विश्वेश्वरि पाहि विश्वं त्वमीश्वरी देवि चराचरस्य॥
3- देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
4- प्रणतानां प्रसीद त्वं देवि विश्वार्तिहारिणि।
त्रैलोक्यवासिनामीड्ये लोकानां वरदा भव॥
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Updated on:
18 Nov 2019 04:55 pm
Published on:
18 Nov 2019 04:48 pm
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