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शहीद होने के बाद घर में सन्नाटा, जिंदगी ‘बेनूर’, फिर भी परिवार की चाहत, शहीद का बेटा सेना में बने अफसर

पुलवामा में आतंकी हमले ( 2019 Pulwama Attack ) में शहीद हुए धौलपुर जिले के भागीरथ सिंह ( Martyr Bhagirath Singh ) के जैतपुर गांव स्थित उसके घर जब पत्रिका टीम के सदस्य पहुंचे तो दोनों मासूम बच्चे एक कोने में खेल रहे थे। चाचा जरदान सिंह एक कुर्सी पर गुमसुम बैठे थे...

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शहीद भागीरथ की तस्वीर लेकर बच्चों के साथ खड़ी वीरांगना रंजना देवी। फाइल फोटो

महेश गुप्ता

धौलपुर। पुलवामा में आतंकी हमले ( 2019 Pulwama Attack ) में शहीद हुए धौलपुर जिले के भागीरथ सिंह ( Martyr Bhagirath Singh ) के जैतपुर गांव स्थित उसके घर जब पत्रिका टीम के सदस्य पहुंचे तो दोनों मासूम बच्चे एक कोने में खेल रहे थे। चाचा जरदान सिंह एक कुर्सी पर गुमसुम बैठे थे। घर में सन्नाटा पसरा था। घर आए उत्तरप्रदेश पुलिस में कांस्टेबल भाई बलवीर सिंह ने सूनी आंखों से हमको देखा तो सही, लेकिन बोला कुछ नहीं, बस हाथ जोड़ दिए। जैसे ही चाचा जरदान सिंह से शहीद भागीरथ सिंह की बात छेड़ी तो मुंह से बस यही निकला ‘सब कुछ खत्म हो गया’। भागीरथ की वीरांगना रंजना से शहीद की बात करना शुरू किया तो उसके मुंह से बोल ही नहीं फूटे। काफी देर तक सहमी सी खड़ी रही। पिता परशुराम खेतों पर गए हुए थे। शहीद की मां बचपन में ही दुनिया छोड़ गई थी। पिता काम की तलाश में मध्यप्रदेश चले गए तो चाचा ने ही भागीरथ सहित दोनों भाइयों का लालन-पालन किया। दोनों की जिंदगी संवारने के लिए खुद ने भी शादी नहीं की। एक साल बीत जाने के बाद भी शहीद के परिवार वाले गमजदा हैं। शहीद भागीरथ की वीरांगना रंजना देवी से लेकर पिता, चाचा, भाई एक वर्ष बाद भी पुलवामा आतंकी हमले को याद कर सिहर जाते हैं। हालांकि पति की शहादत पर अंजना को गर्व है।

सरकारी सहायता
- राज्य और राज्य सरकार- 50-50 लाख रुपए
- राजकीय चिकित्सालय का शहीद के नाम पर नामकरण नहीं हुआ
- आऊट ऑफ टर्न थ्री फेज कृषि बिजली का कनेक्शन नहीं मिला

सबकुछ खत्म हो गया। अब यही इच्छा है कि भागीरथ का बेटा बड़ा हो और सेना में बड़ा अफसर बने। जिससे वह अपने पिता के बलिदान का बदला ले सके। हमारा परिवार अब बेसहारा हो गया।
बलवीर सिंह, भाई