
Black pepper is rich in antibacterial, antifungal and antibiotics
आकार में छोटी सी दिखने वाली कालीमिर्च कई तरह से गुणकारी है। आयुर्वेद के अनुसार वनस्पति जगत में पिप्पलीकुल की बेल से टूटे फलों को कालीमिर्च कहते हैं। मसाले के अलावा इसे औषधि के रूप में अन्य जड़ीबूटियों के साथ मिलाकर नई दवा बनाने में प्रयोग किया जाता है।
पोषक तत्त्व : यह एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल व एंटीबायोटिक तत्त्वों से युक्त होती है। कफनाशक होने के साथ इसमें विटामिन-ए और फ्लेवेनॉइड्स तत्त्व भी होते हैं। इसके तेल में भी कई तरह के पोषक तत्त्व होते हैं।
इस्तेमाल : साबुत चबाने के अलावा इसे पानी में उबालकर काढ़े के रूप में ले सकते हैं। इसके चूर्ण को फांक कर ऊपर से पानी पीकर भी लेते हैं। इसकी सुगंध भी लाभकारी है। तासीर गर्म होने से इसके दो दाने या चुटकीभर चूर्ण पर्याप्त होता है।
ये हैं फायदे : संक्रामक रोगों के अलावा सर्दी-जुकाम, खांसी और बुखार में खासतौर पर यह उपयोगी है। मौसमी बीमारियां जैसे डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया आदि का बुखार या अन्य रोगों में भी इसका काढ़ा पी सकते हैं। गले में दर्द के लिए भी यह लाभकारी है।
सावधानी : तासीर गर्म होने के कारण इसे अधिक मात्रा में न लें वर्ना उल्टी होने के अलावा त्वचा पर खुश्की और त्वचा, पेट, आंख, हथेली, तलवे पर जलन हो सकती है। अल्सर और अधिक एसिडिटी के मरीज इसे न लें। गर्भावस्था और माहवारी के दौरान इसे सीमित ही खाएं।
Published on:
12 Oct 2019 02:00 pm
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