
बच्चों को आउटडोर स्पोट्र्स जैसे फुटबॉल, बास्केटबॉल, क्रिकेट, बैडमिंटन और एरोबिक्स करनी चाहिए। बच्चों को अपनी पसंद की एक्टिविटी जिमनास्टिक, साइकिल चलाना और जॉगिंग हफ्ते में तीन बार जरूर करनी चाहिए। जिमनास्टिक, रस्सी कूदना और रॉक क्लाइम्बिंग जैसी एक्टिविटी से मांसपेशियां और हड्डियां मजबूत होती हैं। एरोबिक्स से हृदय की गतिविधियां सामान्य रहती हैं और योगासन से शरीर में लचीलापन बढ़ता है।
बच्चों का नहीं होता समुचित विकास
बॉडी बिल्डिंग के दौरान डाइटिंग करने से ना सिर्फ दिमाग की नसों को नुकसान होता है, बल्कि बच्चे को एनिमिया, हार्ट और किडनी संबंधी परेशानी हो सकती है। हड्डियों में ग्रोथ प्लेट्स होती हैं, जो भारी वजन उठाने से नष्ट हो सकती हैं और इससे हाइट बढऩा रूक जाती है। जरूरत से ज्यादा प्रोटीन लेने पर मेटाबॉलिक सिस्टम पर प्रभाव पड़ता है। शरीर में फैट जमा होने लगता है।
हड्डियों का कमजोर होना
बच्चों के लिगामेंट्स पर भी बुरा असर
इंस्ट्रक्टर की देखरेख के बिना जिमिंग करने से बच्चे की मांसपेशियों व हड्डियों को जोडऩे वाले लिगामेंट्स पर बुरा असर पड़ता है। किशोर जिम में कोई भी एक्टिविटी बिना ट्रेनर के न करें, क्योंकि गलत तरीके से व्यायाम करने से मसल्स और बोन इंजरी जैसी समस्या हो सकती है। जिम की बजाय इन्हें फुटबॉल, वॉलीबॉल, स्वीमिंग और डांस जैसी एक्टिविटीज में हिस्सा लेना चाहिए।
Published on:
13 Dec 2019 08:21 pm
बड़ी खबरें
View Allडाइट फिटनेस
स्वास्थ्य
ट्रेंडिंग
लाइफस्टाइल
