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फेफड़ों से जुड़ी बीमारी में डेयरी प्रोडक्ट्स से होगा फायदा

सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) या क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस फेफड़ों से जुड़ी बीमारी है। इसमें श्वांस नालियों में सूजन आ जाती है जिससे सांस लेने में परेशानी होती है।

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जयपुर

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Vikas Gupta

Dec 14, 2019

फेफड़ों से जुड़ी बीमारी में डेयरी प्रोडक्ट्स से होगा फायदा

Chronic obstructive pulmonary disease causes symptoms treatment

सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) या क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस फेफड़ों से जुड़ी बीमारी है। इसमें श्वांस नालियों में सूजन आ जाती है जिससे सांस लेने में परेशानी होती है। मरीज को ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। मरीज का वजन घटने लगता है। अगर समय पर इलाज न हो तो यह सीओपीडी सिंड्रोम में बदल जाता है। समय पर इलाज न मिलने से हार्ट, ब्रेन, मसल्स और हड्डियों पर असर होता है।

ओपीडी में बार-बार कफ (सफेद बलगम) बनता है। कफ बनने से मरीज बिना डॉक्टरी सलाह के ही दूध या डेयरी प्रोडक्ट लेना बंद करता है जोकि सही नहीं है। दूध या डेयरी प्रोडक्ट लेने से कफ नहीं बनता है। डेयरी प्रोडक्ट्स न लेने से पोषकता की कमी से मांसपेशियों में दर्द, थकान और हड्डियों की कमजोरी हो जाती है। हल्की चोट से भी हड्डियां टूट जाती हैं। मरीज का वजन भी तेजी से कम होने लगता है।

जानें सीओपीडी सिंड्रोम-
सीओपीडी में फेफड़े ही संक्रमित होते हैं लेकिन सही इलाज नहीं होने, ऑक्सीजन की कमी से हार्ट और मस्तिष्क पर भी असर पड़ने लगता है। मांसपेशियों और हड्डियों की कमजोरी होने लगती है। इसे सीओपीडी सिंड्रोम कहते हैं। इसका इलाज केवल दवाइयों से संभव नहीं है। इसके लिए मरीज को पॉल्मोनरी रिहैबिलिटेशन थैरेपी की जरूरत पड़ती है।

वैक्सीन से होता है बचाव -
इसका इलाज दवाइयों और इन्हेलर से किया जाता है। इससे सांस नली की सूजन घटती है और मरीज को सांस लेने में आसानी होती है। बीमारी बढ़े नहीं इसलिए मरीज को वैक्सीनेशन की जरूरत रहती है। दो तरह के टीके आते हैं। पहली फ्लू वैक्सीन साल में एक बार और दूसरी न्यूमोकोकल वैक्सीन जो पांच साल में एक बार लगवाने की जरूरत पड़ती है।

योग-व्यायाम लाभकारी -
इसमें पर्स लिप ब्रीदिंग और डायफ्रॉमेटिक एक्सरसाइज करें। साथ ही योग विशेषज्ञ की सलाह पर 45-50 मिनट ध्यान-प्राणायाम करें। योग से मनोबल और इम्युनिटी दोनों ही बढ़ते हैं। प्राणायाम से सांस की क्षमता बढ़ती है और फेफड़े मजबूत होते हैं। चंद्र अनुलोम- विलोम, कपाल- भाति, धुनरासन, उष्ट्रासन, भुजंगासन, गोमुखासन, गरुणासन आदि करें।

दूध न लेने से होती हैं कई समस्याएं -
दूध में भरपूर मात्रा में प्रोटीन, विटामिन्स और मिनरल्स होते हैं। इसे संपूर्ण आहार कहा जाता है। कई मरीज कफ बनने के डर से वर्षों से दूध व डेयरी प्रोडक्ट नहीं लेते हैं। इससे वे कमजोर होने लगते हैं और दूसरी समस्याएं होने लगती हैं। सीओपीडी के मरीजों को दिन में दो बार दूध पीना चाहिए। अगर हार्ट की समस्या नहीं है तो रोजाना 2-3 चम्मच घी भी लेना ठीक रहता है। डेयरी प्रोडक्ट ठंडा या खट्टा न लें। मरीज भरपूर मात्रा में फल, हरी सब्जियां और नॉनवेज लें। अगर ज्यादा खाने से सांस लेने में परेशानी होती है तो पांच-छह बार में थोड़ा-थोड़ा खाएं। सीओपीडी के मरीजों को मीठा खाने से बचना चाहिए।

लक्षण व रिस्क -
अस्थमा वाले लक्षण जैसे सांस लेते समय सीटी बजना, सीने में जकडऩ, बलगम, तेजी से वजन घटना, धीरे-धीरे सांस में कमी व थकान इसके प्रमुख लक्षण हैं। धूल-धुआं, प्रदूषित क्षेत्रों में रहने वालों व स्मोकिंग करने वालों को इसका खतरा रहता है।

इन जांचों से पहचान -
सीओपीडी की पहचान मुख्य रूप से क्लीनिकल लक्षणों के आधार पर किया जाता है। साथ ही सीने का एक्सरे, पॉल्मोनरी फंग्सन टेस्ट भी डॉक्टर करवाते हैं। पॉल्मोनरी फंग्सन टेस्ट से बीमारी की गंभीरता का पता चलता है।