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Coronavirus Update: काेराेना के खिलाफ कारगर है प्लाज्मा थैरेपी, 1918 में भी हुआ प्रयाेग

Coronavirus Update: दुनियाभर में कोरोना के संकट को रोकने के कई तरह के प्रयास और प्रयोग किए जा रहे हैं। ऐसे ही एक नए प्रयोग में ह्यूस्टन मेथोडिस्ट अस्पताल में कोविड-19 से ठीक हो चुके मरीज का रक्त convalescent serum therapy के जरिए गंभीर

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Convalescent serum therapy To Fight Against Coronavirus

Coronavirus Update: काेराेना के खिलाफ कारगर है प्लाज्मा थैरेपी, 1918 में भी हुआ प्रयाेग

coronavirus Update: दुनियाभर में कोरोना के संकट को रोकने के कई तरह के प्रयास और प्रयोग किए जा रहे हैं। ऐसे ही एक नए प्रयोग में ह्यूस्टन मेथोडिस्ट अस्पताल में कोविड-19 से ठीक हो चुके मरीज का रक्त convalescent serum therapy के जरिए गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को चढ़ाया गया। इसके साथ मेथोडिस्ट अस्पताल इस तरह की प्रायोगिक चिकित्सा का प्रयास करने वाला देश का पहला अस्पताल बन गया है। convalescent serum therapy 1918 के स्पैनिश फ्लू महामारी के समय प्रचलन में आई थी।

रिपोर्ट के अनुसार कोरोनावायरस से पीड़ित मरीज, जिसकी सेहत दो सप्ताह से अधिक समय तक अच्छी रही, उसने ह्यूस्टन मेथोडिस्ट अस्पताल में convalescent serum therapy के लिए अपने रक्त प्लाज्मा का दान किया।

मेथोडिस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट के चिकित्सक वैज्ञानिक डॉ एरिक सलाजार ने कहा कि कोरोनावायरस संकट के इस दौर में convalescent serum therapy रोगियों को ठीक करने का एक अच्छा रास्ता हो सकती है। क्योंकि अभी हमारे पास कोई ज्यादा विकल्प उपलब्ध नहीं है और समय भी बुहत कम है।

कोरोना की महामारी से तेजी से हो रही मौतों का देखते हुए मेथोडिस्ट ने लगभग 250 संक्रमित रोगियों में से रक्त प्लाज्मा दाताओं को भर्ती करना शुरू किया।

ह्यूस्टन मेथोडिस्ट के अध्यक्ष और सीईओ मार्क बूम ने कहा कि अगर convalescent serum गंभीर रूप से बीमार रोगी के जीवन को बचाने में मदद कर सकता है, तो हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण होगा।

कोविड-19 से ठीक हुए किसी व्यक्ति के प्लाज्मा में वायरस पर हमला करने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा बनाए गए एंटीबॉडी होते हैं। आशा है कि इस तरह के प्लाज्मा को एक रोगी में स्थानांतरित करने के बाद भी वायरस से लड़ते हुए एक हीलिंग में एंटीबॉडी की शक्ति को स्थानांतरित किया जा सकता है, जो संभवतः जीवन रक्षक चिकित्सा हो सकती है।

जर्नल ऑफ द अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन में इस सप्ताह प्रकाशित शोध में भी खुलासा हुआ है कि चीन में पांच रोगियों पर इस तरह के उपचार से फायदा हुआ।