5 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

इस तरह की मां बच्चों के पोषण का रखती हैं ज्यादा ध्यान

एक शिक्षित महिला अपने बच्चे के स्वास्थ्य की देखभाल उन महिलाओं की तुलना में कहीं बेहतर कर सकती है जो शिक्षित नहीं हैं।

2 min read
Google source verification

जयपुर

image

Vikas Gupta

May 12, 2020

इस तरह की मां बच्चों के पोषण का रखती हैं ज्यादा ध्यान

Educated mothers take care of children's nutrition

भारत में आज भी ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को भोजन के रूप में पूरा पोषण नहीं मिल पाता। इसका सबसे बड़ा कारण मांओं का शिक्षित न होना है। दरअसल, एक शिक्षित महिला अपने बच्चे के स्वास्थ्य की देखभाल उन महिलाओं की तुलना में कहीं बेहतर कर सकती है जो शिक्षित नहीं हैं। यह तथ्य हाल ही केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित सर्वे में सामने आया है। सर्वेक्षण में 1.2 लाख बच्चों के स्वास्थ्य एवं शारीरिक पोषण का अवलोकन किया गया। सर्वे में सामने आया कि उच्च स्तर की शिक्षा प्राप्त माताएं अपने बच्चों को बेहतर आहार प्रदान करती हैं। हालांकि ऐसी माओं के बच्चों में शुगर उत्पादों की मात्रा ज्यादा थी जिसके चलते इन बच्चों में अशिक्षित माताओं की तुलना में उच्च कोलेस्ट्रॉल और पूर्व-मधुमेह होने की आशंका अधिक थी।

1.2 लाख बच्चों का परीक्षण
व्यापाक राष्ट्रीय पोषण सर्वेक्षण (सीएनएनएस) के तहत 2016 से 2018 के बीच देश भर के करीब 1.2 लाख बच्चों में पोषरण संबंधी आंकड़े जुटाए गए। सर्वे में विशेष रूप से बच्चों के भोजन की खपत, शारीरिक माप-जोख और अनुपात का अध्ययन, डेटा, माइक्रोन्यूट्रिएंट्स, एनीमिया, आयरन की कमी और किसी भी गैर-संचारी रोगों के होने की जांच की गई। डेटा की तुलना मानव आबादी की विभिन्न विशेषताओं जैसे जाति, धर्म, आवासीय क्षेत्र और माताओं की स्कूली शिक्षा के साथ भी की गई। डेटा विश्लेषण के दौरान माताओं की स्कूली शिक्षा के साथ तुलना करने पर बच्चों के पोषण संबंधी कुछ महत्वपूर्ण संबंध सामने आए।

42 फीसदी बच्चे नहीं गए स्कूल
सर्वे के प्रमुख निष्कर्षों में सामने आया कि अच्छी शिक्षा प्राप्त माताएं अपने बच्चों को कम शिक्षित या अनपढ़ माताओं की तुलना में बेहतर आहार प्रदान करने में सक्षम थीं। सर्वे में 10 से 19 वर्ष की आयु के किशोरों की 53 प्रतिशत माताओं ने कभी स्कूली शिक्षा ग्रहण नहीं की। वहीं चार साल तक के बच्चों की 31 प्रतिशत माताएं और पांच से नौ साल की उम्र के 42 प्रतिशत बच्चे कभी स्कूल ही नहीं गए। केवल 39 प्रतिशत माताओं ने 12 वीं कक्षा या उससे अधिक की पढ़ाई पूरी की है।

ये तथ्य भी आए सामने
अध्ययन से पता चलता है कि अशिक्षित माताओं के केवल 11.4 प्रतिशत बच्चों को विविध भोजन प्राप्त हुआ। जबकि दूसरी ओर 12वीं तक पढ़ी माताओं के 31.8 प्रतिशत बच्चों को पर्याप्त मात्रा में विविध आहार प्राप्त हुआ। अध्ययन से यह भी पता चला है कि बिना स्कूली शिक्षा वाली माताएं न्यूनतम आहार और पोषण प्रदान करने में विफल रही हैं। ऐसी माताओं के केवल 3.9 प्रतिशत बच्चों को न्यूनतम आहार दिया गया जबकि 7.2 प्रतिशत को आयरन युक्त भोजन ही मिल सका। स्कूल में उपस्थित माताओं ने बच्चों को न्यूनतम पौष्टिक आहार प्रदान करने में थोड़ा बेहतर प्रदर्शन किया। 9.6 प्रतिशत बच्चों ने न्यूनतम आहार और 10.3 प्रतिशत ने आयरन युक्त भोजन प्राप्त किया। 2 से 4 साल की उम्र के बच्चों की 49.5 फीसदी अशिक्षित माताओं ने उन्हें ,खाने में अंडे और दूध दिए जबकि 80.5 फीसदी पढ़ी-लिखी माताओं ने अपने इस उम्र के बच्चों को नियमित रूप से डेयरी प्रोडक्ट्स दिए। 36.2 फीसदी पढ़ी-लिखी और कामकाजी महिलाएं अपने बच्चों को नियमित रूप से खाना नहीं खिला पा रही थीं जबकि घर रहने वाली 50.4 फीसदी माताओं के बच्चे नियमित रूप से भरपूर डाइट ले रहे थे।