
पोषक तत्वों से भरपूर डाइट आैर नींद देती है कैंसर की कमजाेरी से राहत
दवाइयों, सर्जरी और थैरेपी की सहायता से अब ब्रेस्ट कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, फेफड़े, पेट और गले के कैंसर में मरीजों को राहत मिल रही है। कैंसर से पूरी तरह से छुटकारा मिल सके इसके लिए शोध जारी हैं।
ब्रेस्ट कैंसर
40 साल से अधिक उम्र की हर महिला को साल में एक बार क्लिनिकल ब्रेस्ट एग्जामिनेशन कराना चाहिए। समय-समय पर खुद ब्रेस्ट की जांच करनी चाहिए।
कब हो सकता है : फैमिली हिस्ट्री होने पर, बच्चा ना होना या 30 वर्ष के बाद होना, 55 साल के बाद मेनोपॉज, हार्मोंस का इलाज लेना।
लक्षण : स्तन में गांठ या स्राव, त्वचा व बनावट में बदलाव।
इलाज : इसकी जांच मैमोग्राफी और सोनोग्राफी की मदद से की जाती है। स्टेज पता लगने के बाद मेस्टेक्टॉमी, ब्रेस्ट कंजरवेटिव सर्जरी, कीमोथैरेपी और रेडियोथैरेपी से इलाज होता है।
हालिया शोध : अब 100 में से 10 महिलाओं को ही ब्रेस्ट रिमूव कराना पड़ रहा है। स्किन स्पेयरिंग मेस्टेक्टॉमी और टारगेटेड थैरेपी में अब ब्रेस्ट निकालने नहीं पड़ते हैं।
पेट का कैंसर
यह महिला व पुरुष दोनों को होता है।
कब हो सकता है : लो फाइबर फूड खाने ज्यादा मसालेदार व मांसाहारी भोजन, तनाव, धूम्रपान और अल्कोहल का सेवन करने से।
लक्षण : पेट दर्द, स्टूल में रक्त आना, वजन घटना, एनीमिया, उल्टी, कमजोरी महसूस होना, जी मिचलाना और कब्ज रहना।
इलाज : इसे सर्जरी या एडवांस नॉन सर्जिकल प्रक्रिया से ठीक किया जाता है।
हालिया शोध : पेट के कैंसर के लिए स्वीडन के वैज्ञानिक टीका तैयार करने में जुटे हैं। हैलीकोबैक्टर पायलोरी बैक्टीरिया को खत्म करने के लिए यह टीका तैयार हो रहा है। हालांकि यह बैक्टीरिया पेट के कैंसर की सिर्फ एक वजह है, इसलिए इस टीके से कैंसर को पूरी तरह से काबू नहीं किया जा सकता है।
ओरल कैंसर
यह मुंह व गले का कैंसर होता है।
कब हो सकता है : तंबाकू व शराब का सेवन, फैमिली हिस्ट्री, मुंह की बीमारियों का सही इलाज ना होना, ओरल सेक्स (ह्यूमन पेपीलोमा वायरस की वजह से)
लक्षण : मुंह में कहीं भी गांठ या सूजन, मुंह से रक्त स्राव, जीभ या जबड़े के हिलने में परेशानी, आवाज बैठना और कान दर्द।
इलाज : किसी भी तरह के घाव या अल्सर मिलने पर बायोप्सी की जाती है, इसके बाद एंडोस्कोपिक परीक्षण, एमआरआई और अल्ट्रासोनोग्राफी से स्टेज पता की जाती है। सर्जरी से प्रभावित टिश्यू खत्म किए जाते हैं।
हालिया शोध : इसके लिए अब ब्रश टेस्ट आ चुका है, जो मुंह के दागों की जांच करता है।
सर्वाइकल कैंसर
यह कैंसर गर्भाशय के मुंह पर होता है।
कब हो सकता है : छोटी उम्र में शादी, 20 साल से कम उम्र में पहला गर्भधारण, कम समय में बार-बार गर्भधारण, प्राइवेट पाट्र्स के संक्रमण व सफाई ना रखना।
लक्षण : पीरियड्स के अलावा इंटरकोर्स के बाद, मेनोपॉज के बाद और माहवारी में ज्यादा रक्त स्राव होना और वजन कम होना।
इलाज : कोल्पोस्कापी व पेप्स स्मीयर से इसकी जांच होती है। बचने के लिए ३० साल की उम्र के बाद नियमित पेप टेस्ट कराएं।
हालिया शोध : यह कैंसर ह्यूमन पेपिलोमा वायरस से होता है, जिसका टीका अब आ चुका है।
फेफड़े का कैंसर
यह कैंसर ज्यादातर पुरुषों को होता है। इसकी सबसे बड़ी वजह धूम्रपान है।
लक्षण : छाती में दर्द, सांस में घरघराहट, खांसी में खून आना, वजन कम होना, तनाव या थकावट महसूस होना।
इलाज : छाती का एक्स-रे, सीटी स्केन और पोजिट्रोन इमिशन टोमोग्राफी से इसकी जांच होती है। कैंसर किस स्टेज पर है, उसके अनुसार इलाज होता है। इसके बाद कीमोथैरेपी, रेडियोथैरेपी और सर्जरी की जाती है।
हालिया शोध : फेफड़े के कैंसर में अब इम्यून थैरेपी इस्तेमाल होने लगी है, जिसमें शरीर में कैंसर से लडऩे वाले तत्व बढ़ाए जाते हैं। इसके अलावा शोध के जरिए यह पता करने की कोशिश की जा रही है कि इसमें टारगेटेड थैरेपी कितनी कारगर साबित हो सकती है।
डाइट
कैंसर के मरीज इलाज के दौरान और उसके बाद भी थकान महसूस करते हैं। इसलिए उन्हें पर्याप्त नींद लेनी चाहिए। अनिद्रा या कम नींद लेने से इम्यून सिस्टम भी कमजोर होता है। कैंसर रोगी को पोषक तत्वों से भरपूर डाइट लेनी चाहिए।
Published on:
28 Nov 2018 01:05 pm
बड़ी खबरें
View Allरोग और उपचार
स्वास्थ्य
ट्रेंडिंग
लाइफस्टाइल
