
रोटा एबलेशन तकनीक से दूर हाेती है हार्ट ब्लॉकेज की समस्या
Rotablation: जिन मरीजों की नसों में अधिक कैल्शियम जमा होने और लंबे ब्लॅाकेज होने की वजह से एंजियोप्लास्टी नहीं हो पाती है, उन मरीजों में रोटा एबलेशन तकनीक कारगर है। इस तकनीक की खास बात यह है कि ये नसों से कैल्शियम के ब्लॉकेज को निकालकर एंजियोप्लास्टी करने का रास्ता खोलती है।
हृदय तक स्टेंट ले जाना मुश्किल
एंजियोग्राफी के बाद अधिकांश मामलों में एंजियोप्लास्टी की जरूरत पड़ती है। लेकिन मरीज की नसों में लम्बे ब्लॉकेज या कैल्शियम अधिक जमा होता है तो उस स्थिति में एंजियोप्लास्टी करते समय हृदय तक स्टेंट ले जाना मुश्किल होता है। ऐसे में रोटा एबलेशन तकनीक का प्रयोग कर बायपास सर्जरी से बचाते हैं।
यूं खोलते ब्लॉकेज
रोटा एबलेशन तकनीक का प्रयोग भी एंजियोप्लास्टी की तरह ही होता है। फर्क यह है कि एंजियोप्लास्टी में नस के अंदर जाने वाले वायर में बलून व स्टेंट लगा होता है। इस तकनीक में डायमंड के छर्रे वाली ड्रिल होती है जो तेज रफ्तार से घूमती है। डॉक्टर इसकी सहायता से नस में जमा कैल्शियम को हटा देते हैं। इस तरह नसों के लंबे ब्लॉक को पूरी तरह खोल दिया जाता है।
लोकेशन जानना अहम
जिन मरीजों की नसों में कैल्शियम जमा होता है या लम्बे ब्लॉकेज होते हैं। उनकी एंजियोप्लास्टी की बजाय बायपास सर्जरी की जाती थी लेकिन रोटा एबलेशन तकनीक आने के बाद से अधिकांश मामलों में बायपास सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ती है। ऐसे मरीजों में यह तकनीक कारगर है। हालांकि इसके लिए ब्लॉकेज कहां पर है काफी कुछ इसपर भी निर्भर करता है।
धूम्रपान से नसों में जमा होता कैल्शियम
सबसे ज्यादा केस 50-60 की उम्र में आते हैं। जो धूम्रपान करते हैं उनकी नसों में कैल्शियम जमा होने की आशंका होती है। बड़े ब्लॉकेज खोलने में रोटा एबलेशन तकनीक कारगर है।
Published on:
31 Oct 2019 03:59 pm
बड़ी खबरें
View Allरोग और उपचार
स्वास्थ्य
ट्रेंडिंग
लाइफस्टाइल
