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ऐप के जरिए पता कर सकेंगे कान का संक्रमण

यह ऐप चिकित्सकों को यह सुनिश्चित करने में मदद करती है कि बच्चे को कान के संक्रमण से परेशानी है या उसे कोई और तकलीफ है।

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जयपुर

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Vikas Gupta

May 23, 2020

ऐप के जरिए पता कर सकेंगे कान का संक्रमण

You can detect ear infection through the app

कान के संक्रमण की सटीक पहचान करना आसान नहीं है। लक्ष्ण अक्सर अन्य बीमारियों के साथ भ्रम की स्थिति पैदा करते हैं। लेकिन वॉशिंगटन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने चिकित्सकों के लिए इसे आसान बना दिया है। शोधकर्ताओं ने ऐसी ऐप बनाई है जो सिर्फ कागज और स्मार्टफोन का इस्तेमाल कर कान के 'इयरड्रम' के पीछे मौजूद किसी भी तरह के तरल पदार्थ का पता लगाकर सटीक इलाज करने में मदद कर सकता है। इस स्मार्टफोन ऐप में इस तकनीक को उपयोग करने के सारे निर्देश मौजूद हैं। अमरीका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन डेफनेस एंड अदर कम्युनिकेशन डिसऑर्डर के अनुसार बच्चों में कान का संक्रमण सबसे सामान्य कारणों में से एक हैं। यह ऐप चिकित्सकों को यह सुनिश्चित करने में मदद करती है कि बच्चे को कान के संक्रमण से परेशानी है या उसे कोई और तकलीफ है। यह न केवल चिकित्सकों और परिजनों का समय बचाता है बल्कि संक्रमण के मामले में एक बड़ी राहत भी है। अच्छी बात ये है कि इस ऐप को चलाने के लिए बहुत ज्यादा तकनीकी तामझाम की जरुरत नहीं है, बस नियमित उपयोग में लेने वाले सामान्य कागज और सामान्य स्मार्टफोन से इसे काम में लिया जा सकता है।

ऐसे काम करता है ऐप-
ऐप स्मार्टफोन के स्पीकर और माइक्रोफोन का उपयोग कर कान कैनाल में एक ऑडियो सिग्नल को पेपर कोन के माध्यम से अंदर भेजता है और पुन: सिग्नल प्राप्त करता है। कागज को अंदर-बाहर कर सिग्नल को बार-बार चेक किया जाता है। यह तकनीक चमगादड़ की ' इकोलोकेशन' प्रणाली की तरह काम करती है। ऐप कान में कागज के जरिए 150 मिली सेकंड की दर से चहचहाने जैसी ध्वनि भेजता है जो कान की दीवारों से टकराकर वापस आती है। इसे स्मार्टफोन का माइक्रोफोन कैच कर लेता है। संक्रमण के कारण अगर कान में कोई रुकावट होगी तो ध्वनि के सिग्नल को को प्रभावित करती है। ऐप ध्वनि तरंगों की विविधताओं के आधार पर ईयरड्रम के पीछे तरल पदार्थ की मौजूदगी की संभावना का अंदाजा लगता है। इस प्रणाली के लिए किसी औपचारिक प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं है।

परीक्षण में भी उतरा खरा-
इस ऐप की सटीकता पेशेवर ध्वनिक परावर्तक प्रणाली के बराबर थी जिसे परीक्षण की जांच के लिए उपयोग किया गया था। ऐप बनाने वाली टीम के जस्टिन चान ने कहा कि यह ध्वनि के पानी से भरे किसी गिलास को छूकर वापस आने जैसा है। गिलास में पानी की मात्रा ध्वनि पर असर डालती है। वैसे ही इयरड्रम के पीदे मौजूद तरल से टकराने पर ध्वनि अलग-अलग ध्वनि प्रसारित करती है। ऐप ने परीक्षण में 25 मरीजों के कान की जांच कर 19 में से 18 मरीजों के कान में संक्रमण की सटीक पुष्टि की। शोधकर्ताओं का कहना है कि आज सभी के पास स्मार्टफोन आसानी से मिल जाते हैं। ऐसे में यह तकनीक दूर-दराज के गांव में कान के संक्रमण से जूझ रहे रोगियों के इलाज में चिकित्सकों की मदद कर सकेंगे।