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डूंगरपुर

बेटियों ने निभाया पुत्र धर्म! रोते हुए पिता की अर्थी को दिया कांधा, जिसने भी देखा रो उठा

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डूंगरपुरJul 19, 2018 / 03:37 pm

dinesh

Funeral
डूंगरपुर। डूंगरपुर शहर में गुरुवार को एक व्यक्ति की मृत्यु होने पर बेटियों ने पुत्र धर्म निभाते हुए पिता की अर्थी को कांधा दिया। श्रीमाल समाज गरबा समिति के सह सचिव और जय अम्बे मित्र पद यात्रा संग के उपाध्यक्ष महेश किशोरीलाल श्रीमाल (पेंटर) का आज सुबह निधन हो गया। इनकी 4 पुत्रिया रिया, प्रिया, मेघा ओर मोना ने कंधा दिया। महेश गरबा गायिकी में माहिर थे तथा वे उत्कृष्ट पेंटर थे।
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मुमुक्षु डॉ. हिनाकुमारी हिंगड़ ने सांसारिकता का त्याग कर साध्वी विशारदमाला का संत स्वरूप धारण किया। विजयलक्ष्मी हॉल में दीक्षा विधि से पूर्व मंगलवार को मुमुक्षु डॉ हिनाकुमारी हिंगड़ की वर्षीदान शोभायात्रा निकाली गई। इस दौरान मुमुक्षु ने सांसारिक वस्तुओं का त्याग किया। शाम को रंगछंटाई व सम्मान समारोह के बाद गुरूवार तडक़े से दीक्षा विधि समारोह का आयोजन आचार्य यशोवर्म सूरीश्वर समेत अन्य संतवृंद के सान्निध्य में किया गया। सुबह नौ बजे विभिन्न मंत्रों के उच्चारण के साथ हॉल में मौजूद सूरत समेत राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु के कई श्रद्धालुओं के बीच दीक्षा विधि शुरू की गई।
खुशी से झूमी मुमुक्षु
महोत्सव में आचार्य यशोवर्म सूरीश्वर ने मुमुक्षु डॉ. हिनाकुमारी को रजोहरण अर्पण किया तो खुशी से मुमुक्षु मंच पर झूमने लगी और हॉल में श्रद्धालुओं ने जय जयकार की।


दीक्षा अमर रहे के स्वर से गूंजा मंच
इसके बाद परिजनों के साथ साधु वेष में मुमुक्षु मंच पर आईं और श्रद्धालुओं ने दीक्षार्थी अमर रहे की गूंज की। इस दौरान डॉ हिनाकुमारी हिंगड़ का संयम नाम साध्वी विशारदमालाश्री घोषित किया गया। नूतन साध्वी अपनी गुरूवर्या साध्वी विबुधमालाश्री के सान्निध्य में साधु जीवन में साधना कर आत्मकल्याण का मार्ग प्रशस्त करेंगी।
48 दिनों का ध्यान किया
दीक्षा से पहले हर मुमुक्षु को 48 दिनों का ध्यान करना होता है, जो हिना ने पूरा किया। आचार्य विजय ने बताया कि हिना ने अपने पिछले जन्म में किए गए ध्यान और श्रद्धा की वजह से जैन धर्म की दीक्षा लेना स्वीकार किया है।

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