मामले के संबंध में मिली जानकारी के मुताबिक निगम के कर्मचारी उरला निवासी राजूलाल चंद्राकर ने नगर निगम से सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत पदोन्नति के संबंध में दस्तावेज मांगें थे। दरअसल निगम ने 18 कर्मचारियों को पदोन्नत किया था। आवेदनकर्ता का तर्क था कि योग्यता के बाद भी उन्हें पदोन्नति से वंचित कर उनके जूनियरों को पदोन्नति दे दी गई है। इस संबंध में पुष्टि के लिए उसने पदोन्नति आदेश और पदोन्नत किए गए कर्मियों की शैक्षणिक योग्यता की जानकारी मांगी थी। जिसे तय मियाद में जिम्मेदार कर्मचारी स्थापना शाखा के सहायक अधीक्षक राजेंद्र साहू ने उपलब्ध नहीं कराया। इस पर आवेदनकर्ता ने राज्य सूचना आयोग में अपील की थी।
राज्य सूचना आयोग ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद आवेदनकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाते हुए देरी के लिए सहायक अधीक्षक राजेंद्र साहू को जिम्मेदार ठहराते हुए 5 हजार जुर्माना लगाया था। इसके साथ ही आयोग ने निगम कमिश्नर को कर्मचारी के वेतन से कटौती कर राशि जमा कराने के आदेश दिए थे। इसके परिपालन में निगम कमिश्नर ने सहायक अधीक्षक राजेंद्र साहू के वेतन से 5 हजार रुपए काटकर चालान के माध्यम से सरकारी खजाने में जमा कराया है।