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डेंगू पर भारी सिस्टम, एक दिन बाद दी ब्लड सैंपल की रिपोर्ट, युवती को भर्ती करने अस्पताल ने मांगे 25 हजार, दोनों की मौत

locationदुर्गPublished: Aug 21, 2018 12:18:59 pm

Submitted by:

Dakshi Sahu

पीडि़तों को कहीं पर उचित चिकित्सा सुविधा नहीं मिल रही है। शासन के आदेश के बावजूद निजी हॉस्पिटल संचालक डेंगू पीडि़तों से पैसे की मांग कर रहे हैं।

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डेंगू पर भारी सिस्टम, एक दिन बाद दी ब्लड सैंपल की रिपोर्ट, युवती को भर्ती करने अस्पताल ने मांगे 25 हजार, दोनों की मौत

भिलाई. शासन-प्रशासन भले ही डेंगू का मुफ्त में इलाज और अच्छी चिकित्सा व्यवस्था का दावा करें, लेकिन जमीनी हकीकत इसके एकदम विपरीत है। पीडि़तों को कहीं पर उचित चिकित्सा सुविधा नहीं मिल रही है। शासन के आदेश के बावजूद निजी हॉस्पिटल संचालक डेंगू पीडि़तों से पैसे की मांग कर रहे हैं।
इसी तरह की लापरवाही की वजह से रविवार की रात फिर दो लोगों की जान चली गई। इलाज के दौरान वार्ड-२८ छावनी की छाया वैष्णव (१९ वर्ष) पिता रमेश वैष्णव और वार्ड-36 वीर शिवाजी नगर निवासी महेश महानंद (२८ वर्ष) ने दम तोड़ दिया।
मृतक महेश महानंद के भाई कृष्णा महानंद ने बताया कि डेंगू पॉजीटिव रिपोर्ट होने के बावजूद उसके भाई भर्ती नहीं किया गया। एक दिन बाद जब एलाइजा टेस्ट में पॉजीटिव रिपोर्ट आई, तब उन्हें भर्ती कराया गया। तब तक डेंगू वायरस पूरी से जकड़ लिया। कृष्णा ने बताया कि खुर्सीपार प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र से रिपोर्ट देने में विलंब की गई।
16 को भर्ती कराया, दूसरे दिन से गिरने लगा प्लेटलेट्स
रिपोर्ट मिलने के बाद 16 अगस्त को महेश को खुर्सीपार हास्टिपल से एक नीजि अस्पताल में भर्ती कराया गया। उनका प्लेटलेट्स 1 लाख 15 हजार था। दूसरे दिन १७ अगस्त को 65 हजार और 18 अगस्त को फिर जांच की गई तब प्लेटलेट्स गिरकर सीधे 18 हजार में हो गया। तब छह यूनिट प्लेटलेट्स की व्यवस्था करने कहा गया।
जिला चिकित्सालय से सुबह 2 यूनिट प्लेटलेट्स मिला। फिर दोपहर, शाम और रात को २-२ यूनिट प्लेटलेट्स चढ़ाया गया। इसके बावजूद स्थिति कंट्रोल नहीं होने पर 18 अगस्त की रात रायपुर के एक निजी अस्पताल में रेफर किया। महेश को हाथ पैर में दर्द की शिकायत थी।
डेंगू पॉजीटिव मिला
शासकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र खुर्सीपार में 14 अगस्त को उसका रैपिड किट से जांच कराई। जिसमें रिपोर्ट पॉजीटिव आया। डॉक्टरों ने कहा कि लक्षण रैपिड का नहीं लग रहा है। इसलिए ब्लड का सैंपल लिया गया। एक दिन बाद १५ अगस्त को रिपोर्ट दी गई। उसमें भी डेंगू पॉजीटिव मिला।
छाया के पिता रमेश ने बताया कि छाया को पहले खुर्सीपार के एक निजी अस्पताल में १२ अगस्त को भर्ती कराया गया। जहां चार दिनों तक भर्ती रखा गया। चिकित्सक स्वास्थ्य अच्छा होने का दिलासा देते रहे। फिर १८ अगस्त को अचानक स्थिति बिगडऩे की जानकारी दी गई और जिला चिकित्सालय दुर्ग रेफर कर दिया। वे छाया को पहले अच्छे उपचार की उम्मीद में भिलाई के एक निजी अस्पताल में लेकर गए। स्थिति को देखने के बाद चिकित्सकों ने भर्ती लेने से इनकार दिया।
बेड चार्ज रोज का 25 हजार मांगा
आखिर में छाया को जिला चिकित्सालय ले जाना पड़ा। जहां चिकित्सकों ने रायपुर के एक नामी अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। किसी तरह वाहन किराए पर लेकर निजी अस्पताल पहुंचे। वहां अस्पताल प्रबंधन ने आइसीयू का बेड चार्ज प्रतिदिन 25 हजार रुपए बताया और पहले राशि जमा करने के लिए कहा। आखिर में छाया को बालाजी में भर्ती कराया गया। जहां उसने दम तोड़ दिया।
चक्कर लगाते रहे और इलाज में देरी होती गई
सरकार ने इलाज मुफ्त में कराने की घोषणा की है पर मरीज व उनके परिजन की पेरशानी कम नहीं हुई है। दोनों मृतकों को परिजन ने बताया कि उनका पूरा परिवार बीमार के इलाज को लेकर चिंतित था। किसी तरह साधन जुटाकर अस्पताल पहुंते थे पर वहां का रवैया देखकर हताश हो जाते थे। यह सब वे सहन कर रहे थे पर इलाज में देरी के कारण उन्हें अपनों को खोना पड़ा।
कलेक्टर दुर्ग उमेश अग्रवाल ने बताया कि हमने हर जगह नोडल अधिकारी बैठाया है। जिस नीजि अस्पताल में पैसे मांगने की बात बता रहे हैं वहां बेड खाली नहीं था। स्पेशल बेड के लिए पैसै मांगे थे। नोडल के जानकारी देने पर हमने युवती को बालाजी चिकित्सालय में भर्ती कराया। जांच रिपोर्ट में देरी की बात है तो मरीज की रिपोर्ट जितनी जल्दी हो उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं।
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