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दुर्ग

भरण-पोषण बंद होने पर मनोरोगी पति को भिजवा दिया जेल, मनोरोगी साबित करने बहन के पास नहीं कोई दस्तावेज

मनोरोगी भाई ग्राम पंडरी निवासी अनिरुद्ध (35 वर्ष) को जमानत पर रिहा कराने रायपुर निवासी सीमा इन दिनों न्यायालय का चक्कर लगा रही है।

दुर्गAug 02, 2018 / 12:24 am

Satya Narayan Shukla

Durg patrika

भरण-पोषण बंद होने पर मनोरोगी पति को भिजवा दिया जेल, मनोरोगी साबित करने बहन के पास नहीं कोई दस्तावेज

दुर्ग. मनोरोगी भाई ग्राम पंडरी निवासी अनिरुद्ध (35 वर्ष) को जमानत पर रिहा कराने रायपुर निवासी सीमा इन दिनों न्यायालय का चक्कर लगा रही है। वह पिछले दो सुनवाई में 30 किलोमीटर की दूरी से जिला न्यायालय पहुंचती है, लेकिन पर्याप्त आधार नहीं होने के कारण उसे मायूस होकर लौटना पड़ रहा है। भरण-पोषण की राशि पत्नी को नहीं देने पर न्यायालय ने उसे जेल भेज दिया है।
भाई मनोरोगी है इसे वह प्रमाणित नहीं कर सकती
सीमा का कहना है कि उसका भाई मनोरोगी है। उसे यह समझ नहीं कि न्यायालय का निर्देश क्या है? उसे अवमानना शब्द का ज्ञान ही नहीं है। भाई मनोरोगी है इसे वह प्रमाणित नहीं कर सकती। गरीबी परिस्थिति के कारण उसका इलाज नहीं कराया गया। वह पूरे दिन बड़बड़ाते रहता है। अकेले बात करने का आदी है। ऐसी स्थिति में जेल के अंदर रहने से उसकी मानसिक स्थिति और ज्यादा खराब हो सकती है। इसलिए वह भाई का जमानत कराने न्यायालय का चक्कर लगा रही है। सीमा का कहना है कि कुछ वर्ष पहले उसे देवादा अस्पताल ले जाया गया था। कमजोर आर्थिक के कारण नियमित उपचार नहीं करा पाए। भाई को मनोरोगी साबित करने उसके पास केवल वहीं एक पर्ची दस्तावेज के रुप में है, लेकिन कानून के जानकार उसे अनुपयोगी बता रहे हैं।
यह है मामला
सीमा ने बताया कि अनिरुद्ध का विवाह १९ वर्ष में भिलाई निवासी अनिता यादव से हुआ था। उसकी तीन संतानें हंै। पांच वर्ष पहले मनोरोगी होने पर अनिता अपने बच्चों के साथ भिलाई आ गई। इसके बाद उसने न्यायालय में भरण पोषण का प्रकरण प्रस्तुत किया। न्यायालय ने अनिरुद्ध को 5000 रुपए प्रतिमाह देने का निर्देश दिया है।
मां करती थी देखभाल अब वह भी नहीं
पिता का देहांत होने के बाद अनिरुद्ध अपनी मां के साथ रहता था। मजदूरी कर जीवन यापन करता था। मनोरोगी होने के बाद मां ही देखभाल करती थी। न्यायालय के निर्देश पर मां ही बहू को रुपए देती थी। रुपए जुटाने वह पंडरी में भीख मांगती थी। दो वर्ष पहले मां की मृत्यु होने पर अनिरुद्ध बेसहारा हो गया। भरण पोषण की राशि नहीं मिलने के कारण उसकी पत्नी ने न्यायालय में आवेदन प्रस्तुत किया था।

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