अतिरिक्त लोक अभियोजक कमल किशोर वर्मा ने बताया कि पीडि़त मासूम की मां ने 24 जुलाई 2016 को मामले की शिकायत सुपेला थाने में दर्ज कराई थी। इसमें पीडि़त के हवाले से उसकी मां ने बताया था कि मासूम बच्ची अपने बड़े पापा के घर खेलने गई थी। इस दौरान उसका 17 साल का भाई घर में अकेले था। इसका फायदा उठाकर नाबालिग ने पीडि़त के साथ अनाचार किया। पीडि़त की मां की शिकायत पर सुपेला पुलिस ने मामला भादवि की धारा 376 और लैंगिक अपराधों से बालकों का सरंक्षण अधिनियम (पॉक्सो) की धारा 3,4 के तहत अपराध दर्ज कर किशोर न्यायालय में प्रस्तुत किया था। (Durg news)
सुपेला पुलिस द्वारा प्रस्तुत प्रकरण के परीक्षण में किशोर न्याय बोर्ड ने किशोर न्याय अधिनियम में संशोधन के अनुरूप अपराध 16 वर्ष से अधिक आयु के नाबालिग द्वारा किया जाना पाया। इसके अलावा मामला गंभीर श्रेणी का पाया गया। इस पर अधिनियम में संशोधन के अनुरूप बोर्ड ने प्रकरण न्यायालय में सुनवाई के भेज दिया था।
किशोर न्याय बोर्ड की अनुशंसा पर मामले की सुनवाई न्यायालय में बालिगों के प्रकरणों की तरह की गई। मामले में दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद न्यायालय ने बालक को धारा 376 (2)(1) का दोषी पाया। इस पर बालक (delinquent) को 10 साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई। इसके साथ बालक को एक हजार रुपए अर्थदंड भी दिया गया है।
न्यायालय ने बालक को 21 साल की आयु तक बाल संप्रेक्षण गृह के प्लेस ऑफ सेफ्टी में रखने कहा है। इसके साथ ही न्यायालय ने हर तीन माह में बालक के व्यवहार की रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत करने कहा है। इसमें बालक के सुधारात्मक सेवा, दूसरे बालकों से व्यवहार के संबंध में जानकारी शामिल होगी।
न्यायालय ने 21 वर्ष की आयु पूर्ण हो जाने के बाद बालक को दोबारा न्यायालय में पेश करने के भी आदेश दिया है। इसमें बाल संप्रेक्षण गृह के परिवीक्षा अधिकारी बालक के व्यवहार के संबंध में रिपोर्ट के आधार पर बालक की रिहाई का निर्णय करेंगे। इस संबंध में प्लेस ऑफ सेफ्टी के अधीक्षक को निर्देश जारी किया गया है।