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पापमोचनी एकादशी की शाम कर लें ये छोटा-सा उपाय, धन-धान्य से भर जाएगा घर

31 मार्च को पड़ रही है एकादशी, विष्णु भगवान की पूजा से मिलेगा शुभ फल एकादशी के दिन व्रत रखने से एक हजार गायों को दान करने के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है

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papmochni ekadashi 2019

पापमोचनी एकादशी की शाम कर लें ये छोटा-सा उपाय, धन-धान्य से भर जाएगा घर

नई दिल्ली। चैत्र मास में पड़ने वाली एकादशी को पापमोचनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस साल यह 31 मार्च यानि रविवार को पड़ रही है। इस दिन विष्णु भगवान की पूजा करने से व्यक्ति को मृत्यु के बाद बैकुंठ की प्राप्ति होती है। साथ ही व्यक्ति का जीवन सुखमय बनता है। पापमोचनी एकादशी के दिन कुछ खास उपाय करने से व्यक्ति की किस्मत चमक सकती है।

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1.पंडित राधाश्याम तिवारी के अनुसार पापमोचनी एकादशी का व्रत सभी दुखों से मुक्ति दिलाने वाला होता है। इस दिन सच्चे मन से पूजा करने से व्यक्ति को कभी कष्टों का सामना नहीं करना पड़ता है।

2.पापमोचिनी व्रत में भगवान विष्णु के चतुर्भुज रूप की पूजा की जाती है। इसमें व्रत रखने वाले को सात्विक भोजन करना चाहिए।

3.एकादशी के दिन सूर्योदय काल में स्नान करके व्रत का संकल्प करना चाहिए। इसके बाद पीले वस्त्र पहनकर विष्णु भगवान का पूजन करना चाहिए।

4.एकादशी की शाम को भगवद् कथा का पाठ करने से घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है। ऐसा करने से घर में मां लक्ष्मी का भी वास होता है।

5.पापमोचिनी एकादशी का व्रत बहुत लाभकारी होता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन व्रत रखने से हजार गायों को दान करने के समान पुण्य की प्राप्ति होती है।

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6.एकादशी तिथि को रात्रि में जागरण करने का बहुत महत्त्व है। पदम् पुराण के अनुसार जो मनुष्य पापमोचिनी एकादशी का व्रत करते हैं विष्णु जी की उन पर असीम कृपा होती है।

7.इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को फलाहार करना चाहिए। अगर आप व्रत रखने में सक्षम नहीं है तो आप सात्विक भोजन करके भी विष्णु जी की पूजा कर सकते हैं।

8.वैसे तो ये व्रत आजीवन रखा जा सकता है। मगर खराब स्वास्थ के चलते अगर आप इसका उद्यापन करना चाहते हैं तो पापमोचनी एकादशी के दिन हवन करें। इसमें तिल, जौ और हवन सामग्री चढ़ाएं।

9.एकादशी में चावल नहीं खाना चाहिए। पौराणिक धर्म ग्रंथों के अनुसार माता शक्ति के क्रोध से बचने के लिए महर्षि मेधा ने शरीर का त्याग कर दिया था। तब उनका शरीर धरती पर जौ के रूप में मिल गया था। चूंकि उस दिन एकादशी भी थी, इसलिए चावल का उपभोग नहीं किया जाता है।