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नवरात्र विशेष : नवरात्र के नौ दिन देवी मां को चढ़ाएं ये 9 रंग, नौकरी से लेकर मिलेगी तरक्की

देवी मां को प्रसन्न करने के लिए उनके अलग-अलग स्वरूपों की पूजा के साथ चढ़ाएं ये चीजें

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नवरात्र विशेष : नवरात्र के नौ दिन देवी मां को चढ़ाएं ये 9 रंग, नौकरी से लेकर मिलेगी तरक्की

नई दिल्ली। नवरात्र में नौ दिनों तक देवी मां के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। मां को अधिक प्रसन्न करने के लिए उन्हें दिन के हिसाब से विभिन्न रंगों की चीजें चढ़ाएं। इससे आपकी मनोकमानाएं पूर्ण होंगी।

1.नवरात्र के पहले दिन प्रतिपदा तिथि पर मां के शैलपुत्री स्वपरूप की पूजा की जाती है। इनका वाहन वृषभ होता है, इसलिए इन्हें वृषारूढ़ा के नाम से भी जाना जाता है।नवरात्र के पहले दिन देवी मां को पीले रंग के वस्त्र और पुष्प चढ़ाने चाहिए।

2.दूसरे दिन देवी के ब्रह्मचारिणी स्वरुप की आराधना की जाती है। देवी मां ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की थी। इनकी पूजा करते समय हरे रंग का वस्त् चढ़ाने चाहिए।

3.तीसरे दिन मां के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा की जाती है। उन्हें शक्ति का प्रतीक माना जाता है। इनके माथे पर घंटे के आकार का आधा चंद्र होता है। इसी कारण इनका नाम चंद्रघंटा पड़ा। इस दिन भक्तों को पीले रंग के वस्त्र चढ़ाने एवं पहननने चाहिए।

4.नवरात्र के चौथे दिन मां के कुष्मांडा स्वरुप की पूजा की जाती है। इनकी आठ भुजाएं होती हैं। आराधकों को इस दिन नारंगी रंग का इस्तेमाल करना चाहिए।

5.पांचवे दिन मां के स्कंदमाता स्वरूप को पूजा जाता है। स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम से जाना जाता हैै। उनकी पूजा में सफेद रंगों का प्रयोग करना चाहिए।

6.छठें दिन देवी मां के छठे स्वरूप देवी कात्यायनी की आराधना की जाती है। महर्षि कात्यायन ने पुत्री प्राप्ति की इच्छा से मां भगवती की कठिन तपस्या की थी। तब देवी ने उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया। इसी कारण उनका नाम कात्यायनी पड़ा। उनकी पूजा में लाल रंगों का उपयोग करना चाहिए।

7.नवरात्र के सातवें दिन कालरात्रि की पूजा की जाती है। देवी के इस रूप की पूजा करने से सभी प्रकार की सिद्धियों को प्राप्त किया जा सकता है। उनकी पूजा के समय नीले रंग के वस्त्र और फूल चढ़ाने चाहिए।

8.आठवें दिन मां के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा होती हैं। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार देवी ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। इससे उनका शरीर काला हो गया था,लेकिन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने उन्हें गंगाजल से कांतिमय बना दिया। उनकी पूजा में गुलाबी रंग का प्रयोग करना चाहिए।

9.नवरात्र के नौवें दिन देवी के आखिरी स्वरूप सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार देवी के इस रूप की आराधना करने से साधक को हर तरह की सिद्धि प्राप्त हो सकती हैं। देवी सिद्धिदात्री की पूजा में जामुनी रंग की चीजों का इस्तेमाल करना चाहिए।