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अर्थयंत्र का सर्वे: पैसों की तंगी से जूझ रहे 71 फीसदी नौकरीपेशा लोग, लौट रहे अपने घर

- बेरोजगारी बढऩे से लोग पैसे की तंगी से जूझ रहे।- उपभोक्ताओं का विश्वास भी पड़ रहा कमजोर ।- 60 प्रतिशत लोगों ने किया यात्रा नहीं करने का फैसला।- 55 प्रतिशत लोगों ने कार खरीदने का फैसला टाला।- 45 प्रतिशत लोगों का घर खरीदने का फैसला बदला। - अपने घर या छोटे शहरों की ओर रुख कर रहे अधिकतर लोग।

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अर्थयंत्र का सर्वे: पैसों की तंगी से जूझ रहे 71 फीसदी नौकरीपेशा लोग, लौट रहे अपने घर

अर्थयंत्र का सर्वे: पैसों की तंगी से जूझ रहे 71 फीसदी नौकरीपेशा लोग, लौट रहे अपने घर

नई दिल्ली। कोरोना काल के बाद भारतीय परिवारों की वित्तीय स्थिति नाजुक हो गई है। ऐसा भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी होने के बाद वेतन कटौती, छंटनी और वेतन का बड़ा भाग वेरिएबल पे में डालने से हुआ है। वेल्थ प्रबंधन कंपनी अर्थयंत्र की ओर से किए गए सर्वे के अनुसार, 71 फीसदी नौकरी करने वालों के पास पैसे की तंगी है। बेरोजगारी बढऩे से लोगों में तेजी से नकदी संकट बढ़ता जा रहा है। इसके साथ ही उपभोक्ताओं का विश्वास भी कमजोर पड़ता जा रहा है। इसके चलते लोगों को भारी नकदी संकट का सामना करना पड़ रहा है।

आपातकालीन फंड और जमा नहीं-

सर्वे के अनुसार, 15 लाख सालाना कमाने वालों के पास नकदी में 60 से 70 फीसदी की गिरावट है। ऐसा इसलिए कि अधिकांश लोगों के पास आपातकालीन फंड और नकदी जमा नहीं है। बेरोजगारी के चलते आने वाले दिनों में स्थिति और खराब हो सकती है। कोरोना संकट के बाद 15 लाख रुपए सालाना आय करने वाले के पास नकदी में 60 से 70 फीसदी की कमी आई है। इसके साथ ही कर्ज में तेजी से बढ़ोतरी हुई है।

यात्रा नहीं करने का फैसला -
60% लोगों ने यात्रा नहीं करने का फैसला किया है। ऐसा वित्तीय अनिश्चितता गहराने, नकदी संकट पैदा होने और आय में कमी आने के कारण किया है। कई लोगों ने यात्रा करने और बच्चों को विदेश पढऩे के लिए भेजने का फैसला भी टाल दिया है। 50 से 55 फीसदी लोगों ने 24 से 36 महीने तक कार खरीदने का फैसला टाला है। बहुत सारे लोग नौकरी गंवाने के बाद महानगरों को छोड़ अपने घर या छोटे शहरों की ओर रुख कर रहे हैं।

घर खरीदने का फैसला टाला-
सर्वे के अनुसार, 45 फीसदी लोगों ने 36 से 60 महीने तक घर नहीं खरीदने का फैसला किया है। कोरोना के कारण वित्तीय संकट का सामना कर रहे लोगों ने अपने कार, घर जैसे बड़े सपने को 24 से 60 महीने तक टालने का फैसला किया है। ऐसा अनिश्चितता गहराने, नकदी संकट पैदा होने और आय में कमी आने के कारण किया है।