
इस साल दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा भारत, 2025 तक जापान को भी छोड़ देगा पीछे
नई दिल्ली। लगातार दूसरी बार सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार को एक बड़ी सफलता हाथ लगने वाली है। ग्लोबल इन्फॉर्मेशन प्रोवाइडर कंपनी IHS Markit ने अपनी एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि इस साल यूनाइटेड किंगडम को पछाड़ते हुए भारत दुनियाा की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि साल 2025 तक जापान को पीछे छोड़ते हुए एशिया पैसिफिक क्षेत्र में भारत दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर उभरेगा।
3 ट्रिलियन डॉलर से भी अधिक होगी भारत की जीडीपी
रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2019-20123 के बीच भारत का GDP अनुमान 7 फीसदी के करीब रहने की वजह से इकोनॉमिक आउटलुक साकारात्मक दिख रहा है। रिपोर्ट में साफ लिखा गया है, "साल 2019 तक भारत के लिए अनुमान लगाया गया है कि वह पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। भारत की GDP साइज बढ़कर 3 ट्रिलियन डॉलर की हो जाएगी। साल 2025 तक भारतीय GDP जापान को भी पीछे छोड़ देगी। इस प्रकार भारत 2025 तक एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर उभरेगा।"
दुनियाभर में बढ़ेगी भारत की साख
दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शुमार होने वाले भारत की भागीदारी अब वैश्विक जीडीपी ग्रोथ में भी बढ़ेगी। एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में प्रमुख आर्थिक ग्रोथ इंजन के तौर पर भारत की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाएगी। भारत अब एशियाई क्षेत्र में ट्रेड और इन्वेस्टमेंट फ्लो के लिहाज से भी प्रमुख देश बन जाएगा। हालांकि, मोदी सरकार की दूसरी पारी में आर्थिक मोर्चे पर कई बड़ी चुनौतियां शामिल हैं। आईएचएस मार्किट ने कहा, "नीतियों के मार्चे पर भारत सरकार के लिए जरूरी होगा कि वह पब्लिक सेक्टर बैंकों में रिफॉर्म लाए और इनके बैलेंस शीट से फंसे कर्ज को बोझ अधिक से अधिक कम करे।"
रोजगार के मोर्च पर दबाव
देश के GDP में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की हिस्सेदारी लक्षित 25 फीसदी के मुकाबले अभी भी 18 फीसदी ही है। अगले दो दशक के दौरान भारत में हर साल करीब 75 लाख लोग वर्कफोर्स जवाइन करेंगे। इससे मोदी सरकार पर इस बात का दबाव बढ़ जाएगा कि वो मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर से लेकर सर्विस सेक्टर तक में रोजगार की संख्या को तेजी से बढ़ाए। सरकार को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि वह बेरोजगारी को भी तेजी से कम हो।
बढ़ती आबादी से भी निपटना होगा
साल 2015 से 2050 के बीच भारतीय आबादी के बढऩे का अनुमान पहले 26.5 करोड़ था जोकि अब करीब 35 करोड़ के पार जा चुका है। इससे सरकार पर बिजली, स्वच्छता, किफायती घर और पब्लिक सेक्टर जैसी बुनियादी इन्फ्रास्ट्रक्चर को भी विकसित करने का दबाव बढ़ेगा। सरकार के लिए 'मेक इन इंडिया' के तहत इंडस्ट्रियल सेक्टर को भी बूस्ट करना सबसे बड़ी प्राथमिकता होगी। साल 2014 में पीएम मोदी ने मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट को लाून्च किया, उस दौरान उन्होंने भारतीय जीडीपी में उत्पादन का लक्ष्य 25 फीसदी रखा था। साल 2018 तक यह 18 फीसदी तक ही पहुंच सका है। विश्व बैंक के ईज ऑफ डूईंग इंडेक्स 2019 में भारत को 190 देशों में 77वी रैंक मिली है। हालांकि, भारत अभी भी इस लिस्ट में कई उभरती अर्थव्यवस्थाओं से पीछे है, जिसमें तुर्की 43वें स्थान पर, चीन 46वें स्थान पर, और मेक्सिको 54वें स्थान पर है। आईएचएस मार्किट ने कहा, "भारत की सुधरती रैंकिंग यह दर्शाता है कि अपने पहले कार्यकाल में पीएम मोदी सरकार ने बिजनेस पर नियामकीय और नौकरशाही का दबाव कम हुआ है।"
मोदी राज में तेजी से बढ़ी जीडीपी साइज
साल 2014 में बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार बनने के बाद भारत के जीडीपी में 50 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। साल 2014 में भारत की जीडीपी जहां 2 ट्रिलियन डॉलर थी, वो अब बढ़कर 3 ट्रिलियन डॉलर से भी अधिक की है। एनडीए सरकार को साल 2014-16 के बीच अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में नरमी से मुद्रास्फिति का दबाव कम करने में फायदा मिला। कच्चे तेल की कीमतों में कमी की वजह से भारत का आयात बिल भी कम हुआ। वहीं, जीएसटी लागू होने के बाद से कंपनियों के लॉजिस्टिक्स कॉस्ट में भी कमी आई है।
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Updated on:
05 Jun 2019 01:28 pm
Published on:
04 Jun 2019 05:30 pm
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