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2027 तक 112 अरब डाॅलर का हो सकता है भारतीय रक्षा बजट: रिपोर्ट

भारत में एरोस्पेस और प्रतिरक्षा क्षेत्र को बढ़ावा देने की पहल से देश का सकल रक्षा बजट वित्त वर्ष 2027 तक बढ़कर 112 अरब अमेरिकी डॉलर तक हो सकता है।

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साल 2027 तक 112 अरब डाॅलर का हो गया भारतीय रक्षा बजट: रिपोर्ट

नई दिल्ली। भारत में एरोस्पेस और प्रतिरक्षा क्षेत्र को बढ़ावा देने की पहल से देश का सकल रक्षा बजट वित्त वर्ष 2027 तक बढ़कर 112 अरब अमेरिकी डॉलर तक हो सकता है। यह बात उद्योग संगठन एसोचैम और केपीएमजी के संयुक्त अध्ययन में कही गई है। अध्ययन के मुताबिक, भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2018-19 में रक्षा बजट के लिए 45 अरब डॉलर की घोषणा की है, जो 2027 तक बढ़कर 112 अरब डॉलर तक जा सकता है। अध्ययन में कहा गया है कि एरोस्पेस और प्रतिरक्षा के क्षेत्र में भारत को बड़ी शक्ति बनाने की दिशा में केंद्र सरकार की ओर से उठाए गए कदमों से रक्षा बजट में इजाफा होगा।

वित्त वर्ष 2018-19 में रक्षा बजट में पिछले वर्ष के मुकाबले महज 7.8 फीसदी का इजाफा किया गया। लेकिन 20127 तक संयोजित सालाना वृद्धि दर करीब 11 फीसदी होने का अनुमान है। हालांकि रिपोर्ट में चिंता जाहिर की गई है कि रक्षा बजट की करीब 10 फीसदी राशि वित्त वर्ष के अंत में रक्षा मंत्रालय को सौंप दिया गया क्योंकि पूरी राशि खर्च नहीं हो पाई। रिपोर्ट के मुताबिक, रक्षा खरीद पर देश का पूंजीगत व्यय अगले दस साल में बढ़कर 250 अरब डॉलर को पार कर सकता है। रिपोर्ट में कहा गया कि घरेलू उद्योग महज 80 अरब डॉलर का ही रक्षा उपकरण बना पाएगा, बाकी आयात ही करना पड़ेगा। रिपोर्ट में सरकार को बड़े पैमाने पर अनुसंधान और विकास व विनिर्माण क्षमता बढ़ाने के लिए निजी उद्यमों को प्रोत्साहन देने का सुझाव दिया गया है।

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कितना रहा है पिछले पांच साल में भारत का रक्षा बजट





























सालबजट (लाख करोड़ रुपए )
2014-152.22
2015-162.30
2016-172.58
2017-182.74
2018-192.95


बजट पूंजी अधिग्रहण चिंता का विषय

हालांकि रिपोर्ट में इस बात की भी चिंता जाहिर की गर्इ की आरक्षित बजट को पूंजी अधिग्रहण के लिए नही किया गया है। रक्षा बजट का 10 फीसदी हिस्सा रक्षा मंत्रालय को वित्त वर्ष के अंत में जारी किया जाता हैं। इससे आरक्षित बजट का पूंजी अधिग्रहण नहीं होता है। यह कहा गया है कि रक्षा खरीद के लिए देश का पूंजी व्यय अगले 10 वर्षों में 112 अरब डॉलर से अधिक होने की उम्मीद है, मुख्य रूप से सोवियत युग के पुराने उपकरणों को प्रतिस्थापित करने और भारतीय सशस्त्र बलों की बढ़ती आधुनिकीकरण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए। हालांकि, इनमें से घरेलू उद्योग केवल 80 अरब डॉलर के रक्षा उपकरणों का निर्माण करने में सक्षम होगा जबकि शेष इसे आयात करना होगा।