
कंगाली के राह पर पाकिस्तान! 6 साल में अर्थव्यवस्था के सबसे खराब हालात
नर्इ दिल्ली। पाकिस्तान में नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री इमरान खान के लिए चुनौतियों का अंबार लगातार बढ़ता जा रहा है, खासकर आर्थिक मोर्चे पर पाकिस्तान के लिए गहरा संकट मडराते हुए दिखार्इ दे रहा है। पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था के लिए हालात एेसे हो गए हैं कि वहां की अर्थव्यवस्था चरमार कर गिर सकती है। पाकिस्तान की आर्थिक वृद्धि दर बीते छह साल में पहली बार धीमी हो गर्इ है। इस साल की शुरुआत में पाकिस्तान में जिस आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 6.2 फीसदी लगाया जा रहा था वो अब चालू वित्त वर्ष में 5.2 फीसदी हो गया है। अनुमान के मुताबिक यदि आर्थिक वृद्धि दर कमजोर होती है तो ये पाकिस्तान को आर्थिक मोर्च पर कर्इ साल तक पीछे ले जा सकती है। पीएम इमरान खान की अगुवार्इ वाली सरकार ने कहा है कि राजकोषिय दबाव व कृषि एंव निर्माण क्षेत्र में मंदी के कारण आर्थिक वृद्धि पर असर दिख रहा है। बता दें कि इससे पहले अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आर्इएमएफ) पाकिस्तान की आर्थिक वृद्धि दर को घटाकर 4.7 फीसदी कर दिया था।
पाकिस्तानी रुपए में कमजोरी व विदेशी मुद्रा भंडार बढ़र्इ चिंता
पाकिस्तान अर्थव्यवस्था को लेकर जो बात ध्यान देने वाली है वो ये कि पिछले वित्त वर्ष में ये वृद्धि दर 5.8 फीसदी था जो कि बीते 13 सालों का सबसे बेहतर आंकड़ा बताया जा रहा था। एक पाकिस्तानी अखबार के मुताबिक, सरकार ने सभी वृहद आर्थिक लक्ष्य को कम कर दिए हैं। पाकिस्तानी रुपए अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कमजोर पड़ रही है। डाॅलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया 129 के स्तर पर पहुंच गर्इ है। वहीं पाकिस्तानी मुद्रा भंडार भी लगातार खाली हो रहा है। पाकिस्तान के पास विदेशी मुद्रा भंडार 10.3 अरब डाॅलर (69,504 करोड़ रुपए) ही बचा है जो कि पिछले साल 16.4 अरब डाॅलर (1,10,667 करोड़ रुपए) था। एक अनुमान के मुताबिक ये विदेशी मुद्रा अधिकतम 10 सप्ताह के आयात के बराबर है। वहीं दूसरी आेर विदेशों में काम कर रहे पाकिस्तानियों द्वारा देश में भेजे जाने वाले पैसे में गिरावट आर्इ है। पाकिस्तान का अायात भी बीते कुछ समय में बढ़ा है।
नहीं मिल रहा अमरीका से मदद
बीते साल अक्टूबर में विश्व बैंक ने भी पाकिस्तान को उसके अर्थव्यवस्था के लिए सतर्क करते हुए कहा था कि उसे कर्ज भुगतान व चालू खाता घाटे को पाटने के लिए 17 अरब डाॅलर की जरूरत पड़ेगी। वहीं अमरीका में डाेनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद पाकिस्तान को अमरीका से मिलने वाले आर्थिक मदद में भारी कटौती देखने को मिली है। न्यूज एजेंसी राॅयटर्स के मुताबिक, पाकिस्तान आैर अमरीका के रिश्तों में खटास आर्इ है। चीन आैर पाकिस्तान के बीच संबंधो में प्रगाढ़ता को देखते हुए कहा जा रहा है कि आने वाले सालों में पाकिस्तान को दिए जाने वाले आर्थिक मदद में अमरीका आैर कटौती कर सकता है। आर्इएमएफ ने अपने एक रिपोर्ट में कहा है कि साल 2009 से लेकर 2018 तक पाकिस्तान पर विदेशी कर्ज 50 फीसदी आैर अधिक बढ़ जाएगा।
काफी नहीं चीन से मदद
पाकिस्तान के आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि केवल चीन की मदद काफी नहीं है। चीन का पाकिस्तान पर कर्ज लगातार बढ़ रहा है। चालू वित्त वर्ष में चीन से पाकिस्तान ने अब तक 5 अरब डाॅलर का कर्ज ले चुका है। एेसे में पाकिस्तान इस आर्थिक संकट से निपटने के लिए सऊदी अरब की तरफ भी हाथ बढ़ा सकता है। सत्ता की बागडोर मिलने के बाद पीएम इमरान खान ने कर्इ कदम उठाएं हैं लेकिन ये काफी नहीं दिखार्इ दे रहा है। पाकिस्तानी अखबार डाॅन के मुताबिक, पाकिस्तान को चीन-पाकिस्तान इकोनाॅमिक काॅरिडोर के कारण भी कर्ज का बाेझ उठाना पड़ रहा है। इस परियोजना के कारण ही चीनी मशीनों का आयात करना होता है जिसके बदले पाकिस्तान को भारी भरकम रकम चुकानी पड़ती है। चालू खाता बढ़ने का ये सबसे बड़ा कारण है। वहीं अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में लगातार हो रहे इजाफे से भी पाकिस्तान को धक्का लगा है। पिछले कुछ समय में पाकिस्तान को सामानों का आयात अधिक करना पड़ता है। साल 2017 में पाकिस्तान का व्यापार घाटा 33 अरब डाॅलर था। इसका मतलब ये हुआ कि पाकिस्तानी उत्पादों की मांग दुनियाभर में कम हो रही है।
Updated on:
01 Oct 2018 09:18 am
Published on:
30 Sept 2018 10:30 am
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