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ट्रेड वाॅर के बीच अमरीका देगा भारत को सौगात, STA-1 दर्जा पाने वाला तीसरा एशियार्इ देश बन सकता है भारत

locationनई दिल्लीPublished: Aug 06, 2018 10:34:14 am

Submitted by:

manish ranjan

अमेरिका ने जापान और दक्षिण कोरिया के बाद अब भारत को सामरिक व्यापार प्राधिकरण-1 (एसटीए-1) सूची में शामिल करने का फैसला लिया हैं।

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ट्रेड वाॅर के बीच अमरीका देगा भारत को सौगात, STA-1 दर्जा पाने वाला तीसरा एशियार्इ देश बन सकता है भारत

नई दिल्ली। अमेरिका ने जापान और दक्षिण कोरिया के बाद अब भारत को सामरिक व्यापार प्राधिकरण-1 (एसटीए-1) सूची में शामिल करने का फैसला लिया हैं। इस सूची में शामिल होने वाला भारत तीसरा एशियाई देश बन गया हैं। ये भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही हैं। इस सूची में शामिल होने के बाद भारत को बड़े फायदे होने वाले हैं। इसके लिए अमेरिका जल्द ही अधिसूचना भी जारी करने जा रहा हैं।


ये होगा फायदा

इस सूची में शामिल होने के बाद से भारत अमेरिका से खतरनाक मारक क्षमता वाले ड्रोन विमानों समेत तमाम अत्याधुनिक हथियारों का निर्यात बिना किसी सरकारी नियंत्रण के कर सकता है। इसका मतलब ये है कि भारत को अमेरिका से हथियार लाने के लिए अब लाइसेंस की जरूरत नहीं होगी। फिलहाल अमेरिकी कंपनियों को इसके लिए वहां से वाणिज्य मंत्रालय से लाइसेंस लेना पड़ता है।

एसटीए -1की सूची में शामिल होने वाला 37 वां देश
भारत संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा एसटीए -1की सूची में शामिल होने वाला 37 वां देश है। यूएस चैंबर्स ऑफ कॉमर्स की ओर से 30 जुलाई को आयोजित पहले भारत-प्रशांत बिजनेस फोरम में अमेरिका के वाणिज्य मंत्री विलबर रॉस ने भारत को एसटीए-1 का दर्जा देने की घोषणा की थी। इसकी अहमियत ऐसे समझी जा सकती है कि भारत यह दर्जा पाने वाला दक्षिण एशिया का पहला और पूरे एशिया का तीसरा देश है। भारत से पहले जापान और दक्षिण कोरिया यह दर्जा पा चुके हैं।
सूची में इन देशों को रखा जाता हैं
परंपरागत रूप से, अमेरिका ने केवल उन देशों को एसटीए -1 सूची में रखा है जो चार निर्यात नियंत्रण व्यवस्था के सदस्य हैं: मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर), वासनेर व्यवस्था (डब्ल्यूए), ऑस्ट्रेलिया समूह (एजी) और एनएसजी। भारत चार बहुपक्षीय निर्यात शासनों में से तीन का सदस्य है। इसी को देखते हुए ट्रम्प प्रशासन ने भारत कों इस सूची में शामिल करने का फैसला किया हैं।
अमेरिका के करीबी को नहीं मिला दर्जा
चीन के साथ चल रही अमेरिका की अनबन के कारण ही भारत की सदस्यता आवेदन एनएसजी के समक्ष लंबित है, जो इस बात का फैसला करते है की इस सूची में किस देश को शामिल किया जाए और किस देश को नहीं।अभी तक अमेरिका के सबसे करीबी और सहयोगी इज़राइल को भी यह दर्जा के बारे में नहीं सोचा गया हैं।
नहीं पड़ेगी लाइसेंसों की जरुरत
दरअसल, सामरिक व्यापार प्राधिकरण अमेरिका से बिना किसी लाइसेंस के अत्याधुनिक और संवेदनशील हथियारों के निर्यात की अनुमति देता है और भारत के लिए यह दर्जा बहुत फायदेमंद साबित होगा। दुनिया में कुल 36 देश ही इस सूची में शामिल हैं, जिनमें से अधिकतर नाटो समूह के सदस्य हैं। इस दर्जे से अब भारत को भी नाटो समूह के देशों की तरह सुविधाएं मिलेंगी। इससे भारत अब आसानी से संवेदनशील हथियारों को खरीद पाएगा। इससे न केवल दोनों देशों के बीच पारस्परिकता की वृद्धि होगा बल्कि लाइसेंसों की स्वीकृति में जो समय बर्बाद होते थे, उनकी भी बचत होगी। साथ ही इससे रक्षा उपकरणों की जरुरत भी काफी कम कीमत पर पूरी की जा सकेंगी।
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