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शिक्षा

सफल होना चाहते हैं तो अपनी ताकत पर दें ध्यान

एक शिपिंग फर्म के लिए ग्लोबट्रोटिंग सविर्स इंजीनियर के रूप में कुछ वर्षों तक काम करने के बाद मैं संयोग से शिक्षक बन गया।

Sep 30, 2018 / 01:18 pm

जमील खान

Inner Strength

Strength

एक शिपिंग फर्म के लिए ग्लोबट्रोटिंग सविर्स इंजीनियर के रूप में कुछ वर्षों तक काम करने के बाद मैं संयोग से शिक्षक बन गया। छुट्टियों के दौरान मैंने अपने कुछ दोस्तों को कॉमन एप्टीट्यूट टेस्ट (सीएटी) पास करने में मदद की थी। उसके बाद पढ़ाने के इतने अनुरोध आने लगे कि नौकरी छोड़ी और क्लासेज लेने के लिए एक से दूसरे शहर उडऩे लगा। एक कमरे से एक हॉल और फिर एक सभागार से लेकर एक समय में तो स्टेडियम तक में पढ़ाया। अपनी एजुटेक कंपनी डाली, वीडियो और एप से पढ़ाने लगा।

कन्नूर के छोटे से गांव अजिकोड में बड़ा हुआ, माता-पिता शिक्षक थे इसलिए ट्यूशन की जरूरत नहीं पड़ी। मुझे फुटबॉल खेलना और पढऩा अच्छा लगता था खासतौर पर गणित। बाद में यूके की फर्म में इंजीनियर हो गया। छुट्टियों में जब दोस्तों की मदद के लिए मैंने उन्हें कैट की तैयारी करवाई तो खुद भी फॉर्म भरा। आश्चर्य देखिए, मेरे 100 पर्सेंटाइल आए, आईआईएम से फोन आने लगे लेकिन मैंने पढ़ाने को ही जीवन बना लिया।

अपनी ताकत पर कीजिए काम
लोग आपसे कहते हैं कि अपनी कमजोरियों पर कड़ी मेहनत कीजिए, इसके विपरीत मेरा तर्क है कि आपको अपनी ताकत को भी और मजबूत करने पर ध्यान देना चाहिए। मैं स्कूल में मैथ ओलम्पियाड विजेता था क्योंकि मुझे गणित के सवाल हल करने में बहुत मजा आता था। गणित मेरी ताकत थी और मैंने इसे और मजबूत किया।

धन से नहीं मिलती सफलता
किसी व्यवसाय के लिए सबसे जरूरी शर्त धन नहीं होता। सबसे जरूरी होता है अपने काम से प्यार। आप जो भी करते हैं वह आपको पसंद होना चाहिए। मैं पेशे से इंजीनियर हूं, संयोग ने मुझे उद्योगपति बना दिया लेकिन मुझे पढ़ाने-पढऩे से प्यार था। मैंने नौकरी करते हुए अपनी पसंद को उभारा। एक बार जब पढ़ाने का काम जम गया तो नौकरी छोड़ी और सब अपने आप हो गया। दो लाख रुपए से कंपनी डाली।

स्कूली दिनों से हमें सिर्फ जवाब देने की आदत हो गई है, ऐसे धीरे-धीरे हम सवाल उठाना ही भूल गए हैं। बंधे-बंधाए ढर्रे पर चलना या आंख बंद करके अनुसरण करना सही तरीका नहीं है, सही तरीका है अपना रास्ता खुद खोजना। कॅरियर हो या पढ़ाई, सवाल उठाते रहना और हल तक पहुंचने के लिए तयशुदा जवाबों के अलावा खुद अपने जवाब खोजना भी जरूरी है। यही एक तरीका है, जिससे आप किसी कॉन्सेप्ट को क्लियर करते हुए दिमाग के जाले साफ कर सकते हैं।

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