
Trainee Doctor Salary: एमबीबीएस कोर्स में दाखिला के लिए होनी वाले प्रवेश परीक्षा NEET UG में इस बार करीब 24 लाख अभ्यर्थी शामिल हुए थे। मेडिकल कोर्स करने वालों की इच्छा होती है कि उनका सेलेक्शन MBBS में हो। इसके लिए वे दिन रात मेहनत करते हैं। MBBS की डिग्री हासिल करने के बाद भी डॉक्टरों को प्रैक्टिस के दौरान परफॉर्मेंस पर ध्यान देना होता है।
MBBS की डिग्री पूरी करने के बाद कुछ लोगों की शुरुआत सरकारी अस्पताल से होती है तो वहीं बड़ी संख्या में युवा प्राइवेट अस्पताल का रुख करते हैं। प्रैक्टिस के दौरान डॉक्टरों को स्टाइपेंड भी दिया जाता है। अन्य क्षेत्र के मुकाबले मेडिकल के क्षेत्र में काम करने वाले ट्रेनी की स्टाइपेंड अच्छी होती है। हालांकि, स्टाइपेंड इस बात पर निर्भर करता है कि कैंडिडेट्स किस कॉलेज में सीट पाने में सफल हुए हैं। NMC भी यही कहता है कि ट्रेनी डॉक्टरों की स्टाइपेंड कई कारकों पर निर्भर करती है। बता दें, ट्रेनी डॉक्टर को रेजिडेंट डॉक्टर भी कहा जाता है।
रेजिडेंट डॉक्टर मेडिकल जगत में अहम भूमिका निभाते हैं। रेजिडेंट डॉक्टरों की सैलरी विभिन्न राज्यों में अलग अलग होती है। कई बार एक ही राज्य के मेडिकल व प्राइवेट कॉलेज के रेजिडेंट डॉक्टरों की सैलरी में फर्क दिखता है। कई निजी कॉलेजों में स्पेशिलिटी के आधार पर स्टाइपेंड की राशि भी अलग-अलग होती है।
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Published on:
14 Oct 2024 02:39 pm
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