
अब सीबीएसई से मान्यता प्राप्त स्कूलों में दूसरी कक्षा तक के बच्चों को होमवर्क नहीं करना पड़ेगा। इसके अलावा अब तीसरी क्लास तक के बच्चों को सिर्फ तीन विषय ही पढ़ाए जाएंगे। ऐसा दरअसल नैशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च ऐंड ट्रेनिंग (एनसीईआरटी) ने हाई कोर्ट में दाखिल एक याचिका पर कहा है। NCERT ने कहा है की करीब 18,000 सीबीएसई स्कूलों को यह नियम फॉलो करना होगा।
इस संबंध में मद्रास हाई कोर्ट में ऐडवोकेट एम पुरुषोत्तम ने एक याचिका दाखिल की थी। उन्होंने अपनी याचिका के जरिए यह आग्रह किया था कि सीबीएसई को एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम का सख्ती से पालन करने और छात्रों पर ज्यादा बोझ नहीं डालने का निर्देश दिया जाए।
याचिका के जवाब में NCERT ने एक शपथपत्र दाखिल करते हुए कहा कि एनसीईआरटी रचनात्मक अप्रोच को बढ़ावा देता है। हालांकि कई स्कूल छात्रों को रट्टा मारने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। इसके अलावा स्कूल बच्चों को कई श्रेणियों में बांट देते हैं। काउंसिल का इसके बारे में कहना है कि ऐसा करने पर समाज में भेदभाव बढ़ेगा।
याचिकाकर्ता के अनुसार सीबीएसई की पहली क्लास के बच्चों के लिए एनसीईआरटी के सिलेबस में सिर्फ तीन विषय-मातृ भाषा, इंग्लिश और मैथमेटिक्स पढ़ाए जाएंगे। हालांकि अभी पहली कक्षा के छात्रों को कंप्यूटर साइंस, जनरल नॉलेज और हिंदी समेत 8 विषय पढ़ने पड़ते हैं।
अब बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले छात्रों को भी मिलेगा असल सर्टिफिकेट
ग्रेजुएशन करते समय बीच में पढ़ाई छोड़ने वालों के लिए खुशखबरी है। दी ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (AICTE) ने सभी तकनीकी संस्थानों को आदेश दिया है कि यदि कोई छात्र बीच में ही पढ़ाई छोड़ देता है तो उनका असल सर्टिफिकेट उसें दिया जाए। काउंसिल ने इस पर अमल न करने की स्थिति में दंडात्मक कार्रवाई के लिए भी चेताया है। दंड के तौर पर ऐसे संस्थानों के अप्रूवल को सस्पेंड किया जा सकता है। इसमें कुल इकट्ठा हुई फीस का 5 गुना तक जुर्माना लगाया जा सकता है।
Published on:
23 Apr 2018 03:15 pm
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