25 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

रैंकिंग इंडेक्स : स्कूली शिक्षा के प्रदर्शन में केरल प्रथम, राजस्थान दूसरेे नम्बर पर

देश में स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए सरकार ने बेहतर प्रदर्शन के आधार पर राज्यों की पहली बार रैंकिंग की है जिसमें केरल पहले स्थान पर है, राजस्थान दूसरे स्थान पर, जबकि तीसरे स्थान पर कर्नाटक है, गुजरात पांचवें तथा बिहार सत्रहवें स्थान पर है। इस बीच हरियाणा, असम और उत्तर प्रदेश ने स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में अपने प्रदर्शन में तेजी से सुधार किया है।

2 min read
Google source verification
School education

School education

देश में स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए सरकार ने बेहतर प्रदर्शन के आधार पर राज्यों की पहली बार रैंकिंग की है जिसमें केरल पहले स्थान पर है, राजस्थान दूसरे स्थान पर, जबकि तीसरे स्थान पर कर्नाटक है, गुजरात पांचवें तथा बिहार सत्रहवें स्थान पर है। इस बीच हरियाणा, असम और उत्तर प्रदेश ने स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में अपने प्रदर्शन में तेजी से सुधार किया है। इस तरह छोटे राज्यों में शिक्षा के सभी क्षेत्रों में प्रदर्शन के आधार पर मणिपुर पहले स्थान पर, त्रिपुरा दूसरे एवं गोवा तीसरे स्थान पर है, जबकि हाल में तेजी से बेहतर प्रदर्शन करने वाले छोटे राज्यों में मेघालय, नगालैंड और गोवा भी हैं।

केंद्र शासित क्षेत्रों में चंडीगढ़ पहले, दादरा एवं नागर हवेली दूसरे एवं दिल्ली तीसरे स्थान पर है, जबकि हाल के वर्षों में तेजी से बेहतर प्रदर्शन करने वाले केंद्र शासित क्षेत्रों में पहले स्थान पर दमन एवं दीव तथा तीसरे स्थान पर पुड्डुचेरी है। इस सर्वेक्षण में पश्चिम बंगाल ने भाग नहीं लिया। नीति आयोग, विश्व बैंक और मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने मिलकर यह इंडेक्स रिपोर्ट पहली बार तैयार की है। नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार, मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कान्त, आलोक कुमार और स्कूली शिक्षा सचिव रीना रे तथा भारत में विश्व बैंक के कंट्री मेनेजर हिशम अब्दो काहिन और शबनम सिन्हा ने इस रिपोर्ट को सोमवार को जारी किया।

इस रैंकिंग इंडेक्स को 30 महत्वपूर्ण मानकों के आधार पर तैयार किया गया है और इसमें लर्निंग आउटकम पर विशेष ध्यान रखा गया है। नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि अब देश में स्कूलों में दाखिला 100 प्रतिशत हो गया है, इसलिए अब शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान केन्द्रित किया गया है। बच्चे अब स्कूलों में आ रहे हैं, लेकिन वे कितना सीख रहे हैं, हमने इस पर ध्यान दिया है क्योंकि यही बुनियाद है। अब हम राज्यों के साथ मिलकर शिक्षा में विकास कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि जो राज्य शिक्षा में सफल हैं उनका इंडेक्स में प्रतिशत 82 है, जबकि पिछड़े राज्यों का प्रतिशत 30 प्रतिशत है। हमे इस अंतर को दूर करना है। स्कूलों में सभी वर्गों के स्टूडेंट्स के दाखिले का इंडेक्स 60 प्रतिशत है। इस इंडेक्स को बढ़ाना है ताकि स्कूलों में सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व मिल सके। कुमार ने कहा कि हमें अब प्री स्कूल पर ध्यान देना है। रीना रे ने कहा कि इस इंडेक्स से राज्यों पर असर होगा और उनमें प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और कार्य योजना तैयार करने में मदद मिलेगी। इससे बाद में गुणवत्ता के क्षेत्र में बेहतर परिणाम मिलेंगे। वर्ष 2021 में पिसा की अंतरराष्ट्रीय बैठक में हम बेहतर प्रदर्शन करेंगे। इसमें 80-90 देश भाग लेंगे।

उन्होंने कहा कि करीब 12 लाख स्कूलों में 42 लाख शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है इससे भी गुणवत्ता बढ़ेगी। किसी स्कूल में बहुत शिक्षक हैं, तो किसी में कम इस असमानता को भी दूर करना है। उन्होंने बताया कि स्कूलों में युवा क्लब और पर्यावरण क्लब भी खुलेंगे। अमिताभ कान्त ने कहा कि इस रिपोर्ट की खासियत है कि इसमें कुछ राज्यों ने शिक्षा के क्षेत्र में बहुत ऊंची छलांग लगाई है। शिक्षा के विकास से ही देश का विकास होगा। हमें नवाचार और कौशल पर अब ध्यान देना है। यह पूछे जाने पर कि इस रिपोर्ट में पश्चिम बंगाल को शामिल नहीं किया गया। नीति आयोग के अधिकारियों ने बताया कि पश्चिम बंगाल ने अपने आंकड़े नहीं साझा किए और उसने सहयोग नहीं किया, इसलिए उसकी रैंकिंग नहीं की गई।