कई विवादों से जुड़ चुका है पिनाराई विजयन का नाम
kerala Assembly Elections 2021
– क्या कट्टरपंथ को मुद्दा बना कर चुनाव लड़ेगी भाजपाई. श्रीधरन ने तय किया भारतीय रेलवे से राजनीति तक का सफर
44 वर्ष पहले एक छात्र की मृत्यु के कारण बदल गई थी सरकारयहां यह बताना भी जरूरी है कि वर्ष 1977 में एक इंजीनियरिंग छात्र की मौत के कारण कुछ माह पहले मुख्यमंत्री बने के. करुणाकरुण को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। उसके विपरीत यहां पिछले पांच वर्षों में 8 माओवादियों को एनकाउंटर में मारा जा चुका है और लगभग 23 मौतें पुलिस कस्टडी में (या पुलिस द्वारा रिहा किए जाने के कुछ ही दिनों बाद आत्महत्या करना) हो चुकी हैं। इन सभी से किसी को कोई असर नहीं पड़ रहा है हालांकि इस मुद्दे पर सत्तारुढ़ लेफ्ट यूनाइटेड फ्रंट (LDF) में अंदर ही अंदर दो गुट बन गए हैं।
इन मुद्दों में इकोनॉमिक रिजर्वेशन तथा सेल्फ-फाइनेंसिंग मेडिकल एजुकेशन के मुद्दे भी जरूरी हैं। सरकार सेल्फ फाइनेंसिंग मेडिकल कॉलेजों के लिए सही तरह से फीस निर्धारण करने में अक्षम रही है जिसके कारण मेडिकल एजुकेशन गरीब और मध्यमवर्ग के बस के बाहर की बात हो गई है। अब देखना यही है कि यहां होने वाले विधानसभा चुनावों में जनता इन मुद्दों पर क्या रुख अपनाती है और किस पार्टी के हाथों में केरल की सत्ता सौंपेगी।