23 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

इन मांगों को लेकर 11 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर रहेंगे रेलवे कर्मचारी

एआईआरएफ के महामंत्री कॉमरेड शिव गोपाल मिश्रा ने कहा कि यदि समय रहते सरकार ने हमारी मांगें नहीं मानी, तो 11 जुलाई से रेलकर्मी हड़ताल पर जाने को विवश होंगे

3 min read
Google source verification

image

Hariom Dwivedi

Jun 15, 2016

Indian Railways

Indian Railways

लखनऊ. सातवें वेतन आयोग के साथ ही अपनी 23 मांगों को लेकर भारतीय रेल के दोनों मान्यता प्राप्त लेबर फेडरेशन ने आगामी 11 जुलाई से अनिश्चितकालीन रेल हड़ताल पर जाने की तैयारी शुरू कर दी है। इस संबंध में लेबर फेडरेशन ने जोनल महाप्रबंधकों को नोटिस जारी हड़ताल से अवगत करा दिया है। इन मांगों में सातवें वेतन आयोग की मजदूर विरोधी सिफारिशों का भी समावेश है।

नॉर्दर्न रेलवे मेंस यूनियन और एआईआरएफ के महामंत्री कॉमरेड शिव गोपाल मिश्रा ने उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक एके पुठिया को आगामी 11 जुलाई से अनिश्चितकालीन रेल हड़ताल की नोटिस दी। इस मौके पर एनआरएमयू ने उत्तर रेलवे मुख्यालय, बड़ौदा हाउस, नई दिल्ली के समक्ष संयुक्त प्रदर्शन भी किया।

ऑल इंडिया रेलवेमेन फेडरेशन (एआईआरएफ) ने जहां हड़ताल के अपने इस फैसले को रेलकर्मियों के लिए सकारात्मक होने की उमीद जताई है, वहीं उनका यह भी मानना है कि इस हड़ताल से रेल संचालन बड़े स्तर पर प्रभावित हो सकता है। इस संबंध में एआईआरएफ के महामंत्री कॉमरेड शिव गोपाल मिश्रा का कहना है कि यदि समय रहते सरकार ने हमारी मांगें नहीं मानी, तो 11 जुलाई से रेलकर्मी हड़ताल पर जाने को विवश होंगे। उन्होंने कहा कि सरकारी संगठनों की राष्ट्रीय संयुक्त संघर्ष समिति (एनजेसीए) के सभी घटकों, जिनमें रेलवे, रक्षा, पोस्टल एवं केंद्र सरकार के अन्य विभाग सहभागी हैं और जो जेसीएम में शामिल हैं, द्वारा संयुक्त रूप से और सर्व-सम्मति से लिया गया फैसला है।

उन्होंने कहा कि छह महीने पहले एनजेसीए द्वारा केंद्र सरकार को सौंपे गए कर्मचारियों की जायज मांगों के मांगपत्र पर सरकार के निराशाजनक रवैये तथा सरकार द्वारा गत अप्रैल महीने में निर्धारित हड़ताल के समय को पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के मद्देनजर कुछ समय के लिए टाले जाने के बाद भी सरकार द्वारा अब तक कर्मचारियों की जायज मांगों के प्रति कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया, इसलिए अब यह हड़ताल अवश्यंभावी हो गई है। उन्होंने कहा कि इतना समय बीतने के बावजूद सरकार ने कर्मचारियों की मांगों का कोई संज्ञान नहीं लिया, जिसके चलते रेल कर्मचारियों ने हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है। बताया कि नई पेंशन स्कीम को समाप्त किए जाने और सातवें वेतन आयोग की मजदूर विरोधी सिफारिशों पर दोनों लेबर फेडरेशन एकमत है।

एनजेसीएके कन्वेनर कॉमरेड शिव गोपाल मिश्रा ने बताया कि सातवें वेतन आयोग ने फरवरी 2015 में अपना कार्य पूरा कर लेने के बावजूद भी सरकार को अपनी रिपोर्ट 19 नवंबर 2015 को सौंप दी थी। उन्होंने कहा कि सरकार के अनावश्यक हस्तक्षेप के कारण ही यह रिपोर्ट सौंपने में विलम्ब किया गया। अब जबकि छह महीने से अधिक समय से सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट सरकार तथा सरकार द्वारा गठित ‘अधिकार संपन्न समिति’ के पास है, फिर भी अब तक सरकार एवं उक्त समिति द्वारा रिपोर्ट की संस्तुतियों और श्रमिकों की मांगों पर श्रमिक संगठनों के साथ कोई सकारात्मक बातचीत की पहल नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि इसीलिए सरकार के कर्मचारियों के प्रति निराशाजनक रवैये से क्षुब्ध होकर एनजेसीए की 3 जून को हुई बैठक में 11 जुलाई 2016 से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया गया है।

एनजेसीए द्वारा रखी गई कर्मचारियों की जायज मांगें इस प्रकार हैं..

1. सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों पर 10 दिसंबर 2015 को एनजेसीए द्वारा कैबिनेट सचिव को सौंपे गए मुद्दों का उचित और अविलंब समाधान किया जाए।

2. रेलवे तथा रक्षा विभाग में कार्यरत तकनीकी और सुरक्षा कोटि के कर्मचारियों तथा भारत सरकार के अन्य विभागों में कार्यरत अन्य कोटि के कर्मचारियों के लिए सातवें वेतन आयोग द्वारा वेतनमानों के निर्धारण में किए गए अन्यायपूर्ण रवैये को समाप्त किया जाए।

3. ‘पीएफआरडीए एक्ट’ और नई पेंशन योजना को समाप्त किया जाए तथा सभी केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों को ‘सीसीएस (पेंशन) अधिनियम 1972’ तथा ‘रेलवे पेंशन अधिनियम 1993’ के अंतर्गत पेंशन/पारिवारिक पेंशन दी जाए।

4. सरकारी कार्यों का निजीकरण, आउटसोर्सिंग तथा ठेकेदारीकरण नहीं किया जाए।

5. सिविल कर्मचारियों को जीडीएस की तरह मानते हुए उनकी पेंशन और भत्तों के साथ-साथ उनकी पदोन्नति सुविधा का भी विस्तार किया जाए।

6. रेलवे तथा रक्षा विभाग में एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) प्रथा को समाप्त किया जाए।

7. रक्षा विभाग की उत्पादन इकाईयों तथा डाक विभाग का निगमीकरण नहीं किया जाना चाहिए।

8. सरकारी विभागों में रिक्त पड़े सभी पदों को तत्काल भरा जाए, नए पदों पर लगी रोक को हटाया जाए, कैजुअल तथा कांट्रेक्ट कर्मचारियों को स्थाई किया जाए।

9. अनुकंपा के आधार पर होने वाली भतिर्यो पर लगी रोक को हटाया जाए।

10. ‘बोनस एक्ट 1965’ की सहूलियतों का विस्तार करते हुए सभी केंद्रीय कर्मचारियों को वित्त वर्ष 2014-15 से मिलने वाले एडहाक बोनस/पीएलबी (उत्पादकता आधारित बोनस) की अधिकतम सीमा राशि में संशोधन किया जाए।

11. सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए उनके सेवाकाल में कम से कम पांच पदोन्नतियों को सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

12. श्रम सुधार के नाम पर श्रम कानूनों में ऐसा कोई मनमानी संशोधन नहीं किया जाना चाहिए, जो श्रमिकों को मौजूदा लाभ से वंचित करता हो।

13. सभी स्तरों पर जेसीएम की कार्यपद्धति को पुर्नजीवित किया जाए।