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रूस-जर्मन गैस पाइपलाइन पर लग सकता है ग्रहण, विरोध में कई यूरोपीय देश

रूस-जर्मन गैस पाइपलाइन पर यूरोपीय देश बंट गए हैं। कुछ देश रुस के समर्थन में इस परियोजना के समर्थन में हैं तो कुछ इसका विरोध कर रहे हैं।

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मॉस्कोः रूस और जर्मन गैस पाइपलाइन पर यूरोपीय देश एकमत नहीं है। बाल्टिक सागर से होकर गुजरने वाली नॉर्ड स्ट्रीम गैस पाइपलाइन ने यूरोपीय देशों में मतभेद पैदा कर दिया है। रूस के वायबॉर्ग से जर्मनी के ग्राइफ्सवाल्ड को जोड़ने वाली इस पाइपलाइन से 55 अरब घनमीटर गैस हर साल यूरोपीय देश में सप्लाई होगी। रुस की कंपनी गाजप्रोम इस परियोजना को अगले साल तक पूरा करना चाहती है। लेकिन इसे समुद्र में विछाने से पहले ही यूक्रेन को होने संभावित नुकसान को लेकर इस परियोजना पर पानी फिरने के आसार लग रहे है।

1224 किलोमीटर लंबी है पाइपलाइन
रुसी कंपनी इस परियोजना को पूरा करने के लिए दस-दस मीटर की लंबाई वाले स्टील की पाइप बनाकर तैयार कर ली है। जबकि पूर्वी जर्मनी के पोर्ट शहर मुकरान में इस पर कंक्रीट का खोल भी चढ़ाया जा रहा है। इस गैस पाइपलाइन की लंबाई 1224 किलोमीटर लंबी बताई जा रही है। इस परियोजना को पूरा करने के लिए रूसी कंपनी के अलावा फ्रांस की कंपनी एंजी, ब्रिटिश की कंपनी, ऑस्ट्रिया और जर्मनी की कंपनी भी शामिल है।

पश्चिमी देशों से रूस के बिगड़ते रिश्तों पर असर
ऐसा नहीं है इस परियोजना को लेकर किसी देश का निजी स्वार्थ है। यूरोपीय देशों में जितने देश इसका विरोध कर रहे हैं उतने ही इसका समर्थन भी कर रहे हैं। 8 अरब यूरो की इस पाइपलाइन परियोजना का विरोध इसलिए भी हो रहा है कि रूस का पश्चिमी देशों से हाल के दिनों में रिश्ते बिगड़े हैं, जिसका असर भी दिख रहा है। कुछ देश युक्रेन के समर्थन हैं जिसकी वजह से इसका विरोध कर रहे तो कुछ देशों को लगता है कि इस परियोजना से रूस आर्थिक तौर पर मजबूत होगा। जो देश रूस का समर्थन कर रहे हैं उन देशों में गैस पाइपलाइन जाएगी जिसका फायदा भी उन्हें मिलेगा। बता दें कि रुस का युक्रेन का साथ रिश्ता काफी खराब रहा है इसलिए वह नहीं चाहता कि इस परियोजना को पंख लगे।