
Chitra Gupt Jayanti Ka Itihas
फैजाबाद . दीपावली के बाद भगवान् श्री चित्रगुप्त महाराज की पूजा की परम्परा सदियों से चली आ रही है,इस पर्व को देश का कायस्थ समाज बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाता है लेकिन शायद ये कम ही लोगों को पता होगा की भगवान श्री चित्रगुप्त महाराज की पूजा दीपावाली के बाद क्यूँ की जाती है . इतना ही नही चित्रगुप्त पूजा का रामनगरी अयोध्या से बेहद गहरा रिश्ता रहा है अयोध्या के चित्रगुप्त मंदिर में बेहद आस्था और श्रद्धा के साथ यह पर्व मनाया जाता है . इस आयोजन में बड़े पैमाने पर लोग शामिल होते हैं और भगवान श्री चित्रगुप्त की पूजा के बाद ही कायस्थ समाज लेखनी का प्रयोग करना शुरू करता है .
अयोध्या के राजा भगवान राम से नाराज़ हो गए थे चित्रगुप्त महाराज
किंवदंती के अनुसार जब भगवान् राम लंकापति रावण का संहार कर अयोध्या वापस लौट रहे थे तब उनकी खडाऊं को राजसिंहासन पर रख कर राज्य चला रहे राजा भरत ने गुरु वशिष्ठ को भगवान् राम के राज्यतिलक के लिए सभी देवी देवताओं को सन्देश भेजने की वयवस्था करने को कहा , गुरु वशिष्ठ ने ये काम अपने शिष्यों को सौंप कर राज्यतिलक की तैयारी शुरू कर दीं .ऐसे में जब राज्यतिलक में सभी देवीदेवता आ गए तब भगवान् राम ने अपने अनुज भरत से पूछा चित्रगुप्त नहीं दिखाई दे रहे है इस पर जब खोज बीन हुई तो पता चला की गुरु वशिष्ठ के शिष्यों ने भगवान चित्रगुप्त को निमत्रण पहुंचाया ही नहीं था जिसके चलते भगवान् चित्रगुप्त नहीं आये I इधर भगवान् चित्रगुप्त सब जान तो चुके थे और इसे भी नारायण के अवतार प्रभु राम की महिमा समझ रहे थे फलस्वरूप उन्होंने गुरु वशिष्ठ की इस भूल को अक्षम्य मानते हुए यमलोक में सभी प्राणियों का लेखा जोखा लिखने वाली कलम को उठा कर किनारे रख दिया I
भगवान चित्रगुप्त के नाराज़ होने से रुक गए थे यमलोक और स्वर्ग लोक के सारे कामकाज
इस पौराणिक कथानक के अनुसार सभी देवी देवता जैसे ही राजतिलक से लौटे तो पाया की स्वर्ग और नरक के सारे काम रुक गये थे , प्राणियों का का लेखा जोखा ना लिखे जाने के चलते ये तय कर पाना मुश्किल हो रहा था की किसको कहाँ भेजे . तब गुरु वशिष्ठ की इस गलती को समझते हुएभगवान राम ने अयोध्या में भगवान् विष्णु द्वारा स्थापित भगवान चित्रगुप्त के मंदिर में विराजमान भगवान श्री चित्रगुप्त का अयोध्या आने वाले सभी तीर्थयात्रियों को अनिवार्यत: श्री धर्म-हरि जी के दर्शन करना चाहिये, अन्यथा उसे इस तीर्थ यात्रा का पुण्यफल प्राप्त नहीं होता में इस लीला के बाद भगवान राम ने गुरु वशिष्ठ के साथ जाकर भगवान चित्रगुप्त की स्तुति की और गुरु वशिष्ठ की गलती के लिए क्षमायाचना की, जिसके बाद नारायण रूपी भगवान राम के आदेश मानकर भगवान चित्रगुप्त ने लगभग ४ पहर (२४ घंटे बाद ) पुन: कलम की पूजा करने के पश्चात उसको उठाया और प्राणियों का लेखा जोखा लिखने का कार्य आरम्भ किया . तब से लेकर आज तक यह परम्परा चली आ रही है . और अयोध्या के चित्रगुप्त मंदिर सहित पूरे देश भर में कायस्थ समाज इस पूजन को करने के बाद ही लेखा का कार्य शुरू करता है .
Published on:
21 Oct 2017 11:30 am
बड़ी खबरें
View Allफैजाबाद
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
