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अयोध्या में राम मंदिर ही नही संपत्ति विवाद में साधुओं की हत्या का भी है लम्बा इतिहास

धार्मिक नगरी अयोध्या में लगभग 5 साल बाद एक बार फिर से मंदिर में महंती के विवाद में एक साधु की हत्या हुई है

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Long Story Murder of sadhu in dispute over temple In Ayodhya

Mandir Me Hatya

अनूप कुमार

अयोध्या : मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की पावन जन्म स्थली अयोध्या को मंदिरों का शहर भी कहा जाता है | जिसकी बड़ी वजह यह है की अयोध्या नगरी की 5 कोस की परिधि में छोटे बड़े मिलाकर तकरीबन 6000 मंदिर हैं | जहां पर भगवान राम सीता के अलावा भगवान शिव, हनुमान ,भगवान विष्णु ,मां दुर्गा सहित अन्य देवी देवताओं के मंदिर मौजूद हैं | इन मंदिरों में कुछ मंदिर तो ऐसे भी हैं जिनकी प्रसिद्धि विश्व स्तर पर है और वर्षपर्यंत यहां पर देश के कोने-कोने से आने वाले श्रद्धालुओं का आवागमन लगा रहता है | वर्ष में पड़ने वाले मेले में आने वाले श्रद्धालु इन मंदिरों में दर्शन और पूजन करते हैं ऐसे में बड़ी मात्रा में चढ़ावा भी चढ़ता है | जिसके कारण इन मंदिरों में अकूत संपत्ति भी मौजूद है | यही वजह है कि इस संपत्ति पर कब्जेदारी को लेकर अक्सर मंदिर के महंत और उनके शिष्यों में विवाद उत्पन्न हो जाता है | यह विवाद अक्सर खौफनाक रूप लेकर खूनी वारदातों में बदल जाता है | धार्मिक नगरी अयोध्या में लगभग 5 साल बाद एक बार फिर से मंदिर में महंती के विवाद में एक साधु की हत्या हुई है | इस घटना ने एक बार फिर से कहीं ना कहीं अयोध्या में मंदिरों में महंती के विवाद और संपत्ति के विवाद में होने वाली खौफनाक घटनाओं की याद ताजा कर दी है |

विद्या मंदिर पर महंत के दो दावेदारों में विवाद ने लिया ख़ूनी रूप एक की हो गयी हत्या

ताजा घटनाक्रम में 23/24 अगस्त की रात अयोध्या के विद्या कुंड क्षेत्र स्थित विद्या माता मंदिर में महंती के दावेदार संत रामचरण दास की गला घोंटकर हत्या कर दी गई और उनकी लाश को कमरे में तखत के नीचे छुपा दिया गया | रात करीब 10:00 बजे मंदिर में पहुंचे एक व्यक्ति ने जब सामान बिखरा हुआ देखा तब उसने पुलिस को सूचना दी | मौके पर पहुंची पुलिस ने इस मामले में मृत साधु के शव को कब्जे में लेते हुए मंदिर में ही रहने वाले एक अन्य साधु परमात्मा दास को हिरासत में ले लिया है | चौंकाने वाली बात यह है कि मृत साधु के ऊपर पिछले साल भी जानलेवा हमला हुआ था और उस मामले में परमात्मा दास के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज है | बताया जा रहा है कि दोनों संतों में मंदिर की संपत्ति का विवाद था और दोनों ही मंदिर की महंती हथियाना चाहते थे | लेकिन वर्तमान में कब्जा रामचरण दास का ही था और इसी विवाद को लेकर हालात ऐसे बिगड़ गए कि हत्या जैसी घटना हो गयी | डीआईजी रेंज ओंकार सिंह ने बताया कि इस घटना की सूचना मिलते ही पुलिस टीम मौके पर पहुंच गई थी शव को कब्जे में लेने के बाद आवश्यक जांच पड़ताल की जा रही है | एक अन्य संत परमात्मा दास को हिरासत में लिया गया है घटना में और लोगों के शामिल होने की आशंका है ,जिसे दृष्टिगत रखते हुए परमात्मा दास से पूछताछ की जा रही है |घटनास्थल पर जो स्थिति देखी गई उसमें भोजन बनाकर रखा हुआ था लेकिन वारदात के शिकार हुए साधू ने भोजन नहीं किया था | इसका अर्थ यही है कि इससे पूर्व हीउसकी हत्या कर दी गई थी | सभी बिंदुओं को ध्यान में रखकर घटना की जांच की जा रही है |


अयोध्या में बेहद लंबा रहा है मंदिर की संपत्ति हथियाने को लेकर खूनी संघर्ष का इतिहास

एक तरफ जहां मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की पावन नगरी आस्था और आध्यात्म के चलते पूरी दुनिया में जानी जाती है और इस नगरी में न सिर्फ हिंदू बल्कि मुस्लिम सिख और जैन धर्म के धर्मगुरुओं प्रवर्तकों ने अपनी शिक्षा दीक्षा पूरी की जिसके कारण या प्राचीन नगरी सभी धर्म के लोगों के लिए आस्था का केंद्र रही है | वही इस प्राचीन नगरी के मंदिरों में मंदिर पर महंती और संपत्ति के विवाद को लेकर खून-खराबे का भी लंबा इतिहास रहा है | वर्तमान से करीब 40 वर्ष पूर्व अयोध्या की बेहद प्रसिद्ध छावनी के महंत राम प्रताप दास की हत्या के साथ जो एक सिलसिला शुरु हुआ उसने थमने का नाम नहीं लिया और 90 के दशक के ख़त्म होने तक करीब आधा दर्जन संतों की हत्या का काला सच इस पौराणिक नगरी के इतिहास के पन्नो में जुड़ गया | महंत राम प्रताप दास की हत्या के बाद इसी मंदिर के एक अन्य महंत प्रेम नारायण दास की भी हत्या कर दी गई | जिसके बाद सनातन मंदिर के महंत मोहनदास जहां की गोली मारकर हत्या और उसके बाद महंत मोहन दास के भाई राम कृष्ण दास की भी करंट लगने से संदिग्ध हालत में हुई मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए थे | खूनी संघर्ष की कड़ी में मंदिर पर अधिपत्य जमाने की कोशिश में साधु वेश धारियों ने हनुमत धाम के महंत रामदेव शरण पर बम से हमला कर दिया और उनकी हत्या कर दी | जिसके बाद सन 1991 में जानकी घाट बड़ा स्थान के महंत की उनके ही कमरे में उसी तरह गला घोटकर हत्या कर दी गई | जिस तरह से गुरुवार की रात राम चरण दास की हत्या की गई | लगातार हो रही खूनी संघर्ष की वारदातों में सन 1995 में हनुमानगढ़ी के महंत रामाज्ञा दास पर जानलेवा हमला हुआ और एक बार फिर से साधु वेश पर सवाल उठे | 90 के दशक में अयोध्या के दबंग महंत के रूप में जाने जाने वाले महंत राम कृपाल दास को बड़ी आसानी से अपराधी गोली मारकर इस दुनिया से विदा कर देंगे इसका अंदाजा किसी को नहीं था | खूनी वारदातों की कड़ी में सन 1999 में विद्या कुंड में ही स्थित बड़ा स्थान के महंत राम कृपाल दास की भी संपत्ति के ही विवाद में हत्या कर दी गई थी | इसके बाद बीते दो दशक में भी कई संतों की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत ने कई सवाल उठाए | पांच बर्ष पूर्व वासुदेव घाट के रहने वाले महंत अयोध्या दास की हत्या हो या विकलांग संत लाल दास की हत्या इन सभी घटनाओं के पीछे कहीं ना कहीं मंदिरों की अकूत संपत्ति पर कब्जेदारी का विवाद जुड़ा हुआ है | यह भी एक बेहद शर्मनाक पहलू है कि आमतौर पर आधुनिक जीवन के विलासितापूर्ण रहन-सहन को छोड़कर किसी जमाने में लोग वैराग्य लेकर भगवान की सेवा पूजा में साधु संत बन जाते थे | लेकिन बदलते सामाजिक परिवेश में अब हालात ऐसे हैं कि भगवान की सेवा पूजा से इतर धन-संपत्ति का मोह इन कथित साधूवेश धारियों से हत्या जैसी घृणित वारदातों को अंजाम दिलवा रही है |