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अभी अभी : राम जन्म भूमि मामले के मुख्य पक्षकार निर्मोही अखाड़े के सरपंच महंत भास्कर दास का निधन

लम्बे समय से बीमार चल रहे थे महंत भासकर दास शनिवार की भोर 3 बजे फैजाबाद के निजी चिकित्सालय में ली अंतिम सांस 

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Ram Janm Bhoomi Pakshkar Mahant Bhaskar Das dies in Faizabad

Mahant Bhaskar Das Ka Nidhan

अनूप कुमार
फैजाबाद . अयोध्या में राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद विवादित परिसर में मंदिर मस्जिद निर्माण के अधिकार के दावे को लेकर हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षकारों में हिंदू पक्ष से मुख्य पक्षकार निर्मोही अखाड़े के सरपंच महंत भास्कर दास का लम्बी बीमारी के बाद निधन हो गया . 89 वर्ष के श्री दास बीते काफी समय से अस्वस्थ चल रहे थे और उन्हें सांस लेने में समस्या हो रही थी बीते बुधवार को ही उन्हें फैजाबाद के हर्षण ह्रदय संस्थान में इलाज के लिए भर्तीं कराया गया था जहां शनिवार की भोर करीब तीन बजे उन्होंने अंतिम सांस ली . महंत भास्कर दास वर्तमान में निर्मोही अखाड़े के सरपंच और नाका हनुमान गढ़ी के महंत थे .महंत भास्कर दास के निधन पर अयोध्या के संतों ने और राम मंदिर मुक़दमे के अन्य पक्षकारों ने गहरा शोक जताया है .दिवंगत महंत भास्कर दास का पार्थिव शरीर लोगों के अंतिम दर्शनार्थ नाका हनुमानगढ़ी परिसर में रखा गया है . महंत भास्कर दास का अंतिम संस्कार राम नगरी अयोध्या के सरयू तट पर किया जाएगा .

अपनी योग्यता के बल पर एक सामान्य साधू से निर्मोही अखाड़े के सरपंच बने महंत भास्कर दास

वर्तमान में निर्मोही अखाड़े के सरपंच और फैजाबाद के नाका हनुमान गढ़ी मंदिर के महंत भास्कर दास का जन्म 20 मार्च सन 1929 में गोरखपुर जनपद के रानीडीह गांव में भागवत पाठक के घर हुआ था .16 साल की आयु में सन 1945 से 46 के बीच महंत भास्कर दास फैजाबाद के नाका हनुमान गढ़ी मंदिर पहुंचे ,इसी मंदिर में सेवा पूजा करने के दौरान उनकी शिक्षा दीक्षा संपन्न हुई ,तत्कालीन महंत बाबा बलदेव दास के शिष्य के रूप में नाका हनुमानगढ़ी में रह रहे भास्कर दास को सन 1946 में अयोध्या के विवादित परिसर में मौजूद राम चबूतरे पर बतौर पुजारी की रूप में नियुक्त किया गया ,जिसके बाद सन 1946 से लेकर सन 1982 तक भास्कर दास राम चबूतरे पर पूजा अर्चना करते रहे . सन 1986 में नाका हनुमानगढ़ी के निवर्तमान महंत और भास्कर दास के गुरु भाई बाबा बजरंग दास का निधन हो गया जिसके बाद सन 1986 में इन्हें फैजाबाद के नाका हनुमान गढ़ी का महंत बना दिया गया . इस अवधि के दौरान सन 1993 तक महंत भास्कर दास अपनी योग्यता के आधार पर निर्मोही अखाड़े के उपसरपंच की उपाधि प्राप्त कर चुके थे .सन् 1993 में सीढ़ीपुर मंदिर के महंत रामस्वरूप दास के निधन के बाद उनके स्थान पर भास्कर दास को निर्मोही अखाड़े के सरपंच की उपाधि मिली जिसके बाद से वह वर्तमान समय तक निर्मोही अखाड़े के सरपंच के रूप में अपनी जिम्मेदारी को निभा रहे हैं .


राम मंदिर मुकदमे में क्या थी महंत भास्कर दास की भूमिका

अयोध्या के विवादित स्थल पर मंदिर मस्जिद के मुकदमे में महंत भास्कर दास की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है . इस मुकदमे में वह हिंदू पक्ष से एक पक्षकार के रूप में मुकदमा लड़ रहे हैं . सन 1959 में निर्मोही अखाड़े के महंत रघुनाथ दास ने राम जन्मभूमि पर अपने दावे को लेकर न्यायालय में वाद दाखिल किया था .वही उसी परिसर में स्थित राम चबूतरे के पुजारी के रूप में पूजा पाठ करने वाले महंत भास्कर दास ने भी इसी मुकदमे में शामिल होते हुए अपनी ओर से भी एक और मुकदमा भी दाखिल किया था . करीब 5 दशक तक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 30 सितंबर 2010 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने अपना फैसला सुनाया था जिसमें इस मामले में हिन्दू मुस्लिम दोनों पक्षों के पक्षकारों को एक एक हिस्से की भूमि देने का फैसला सुनाया गया था . लेकिन पूरे भूखंड पर अपने स्वामित्व की लड़ाई को लेकर निर्मोही अखाड़े के सरपंच महंत भास्कर दास ने देश की सबसे बड़ी अदालत सर्वोच्च न्यायालय में अपील दाखिल की है और वर्तमान में भी वह अपने अधिवक्ता के जरिये इस मुकदमे की पूरी शिद्दत से पैरवी कर रहे थे लेकिन अब उनके चले जाने के बाद संभवतः उनके शिष्य महंत राम दास अब इस मामले की पैरवी करेंगे . .