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छठ महापर्व: मिट्टी के चूल्हे पर क्यों बनाया जाता है छठ का प्रसाद?

छठ के दूसरे दिन को खरना कहा जाता है। इस दिन प्रसाद में गुड़ की खीर बनाई जाती है। खीर बनाने के लिए मिट्टी के चूल्हे का प्रयोग किया जाता है।

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नहाय खाय के साथ ही छठ महापर्व शुरू हो गया है। छठ पूजा की शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को होती है और यह कार्तिक शुक्ल सप्तमी को समाप्त होता है। इस दौरान व्रतधारी लगातार 36 घंटे का व्रत रखते हैं। व्रत के दौरान वह पानी भी ग्रहण नहीं करते हैं।


खरना पर बनता है गुड़ की खीर

छठ के दूसरे दिन को खरना कहा जाता है। इस दिन प्रसाद में गुड़ की खीर बनाई जाती है। खीर बनाने के लिए हाथ से बने मिट्टी के चूल्हे का प्रयोग किया जाता है एवं जलावन में आम की लकड़ी। खीर बनाने के लिए चावल, दूध और गुड़ का उपयोग किया जाता है। चावल और दूध को चंद्रमा का प्रतीक माना जाता है, वहीं गुड़ को सूर्य का प्रतीक।


मिट्टी के चूल्हे पर क्यों बनता है प्रसाद?

छठ पूजा का प्रसाद मिट्टी के चूल्हे पर बनाया जाता है। कहा जाता है कि जिस चूल्हे पर पहले से खाना बना हुआ हो, उसका प्रयोग छठ का प्रसाद बनाने में नहीं किया जाता है। जैसे कि हम सभी जानते हैं कि छठ पूजा में पवित्रता का सबसे अधिक ध्यान रखा जाता है। मिट्टी से बने चूल्हे पवित्र माने जाते हैं और छठ पूजा के लिए स्पेशल मिट्टी के चूल्हे बनाये जाते हैं, जिसका उपयोग सिर्फ प्रसाद बनाने के लिए ही किया जाता है।


बनाने में हैं असमर्थ तो ईंट के बना सकते हैं चूल्हे

अगर मिट्टी का चूल्हा बनाने में आप असमर्थ है तो ईंट के चूल्हे बना सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले आपको तीन ईंट लाना होगा। उस ईंट को पहले अच्छी तरह से धो लें। उसके बाद उस पर गोबर का लेप लगा दें। इसके बाद उसे छठ का प्रसाद बनाने के लिए चूल्हे को तौर पर उपयोग करें।