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पद्मिनी एकादशी विशेष- इस बार ऐसे करें भगवान विष्णु का पूजन होगी हर मनोकामना पूरी

- तीन साल में एक बार आती है पद्मिनी एकादशी

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Deepesh Tiwari

Jul 28, 2023

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हर तीन साल में एक बार आने वाली पद्मिनी एकादशी (padmini ekadashi special) इस बार शनिवार, 29 जुलाई को है, वहीं साल 2023 की ये एकादशी कुछ विशेष योग के चलते अति विशेष होने वाली है। दरअसल अधिकमास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि (padmini ekadashi special) को पद्मिनी एकादशी या अधिकमास एकादशी या पुरुषोत्तमी एकादशी (padmini ekadashi 2023 special) भी कहा जाता है। एकादशी होने के साथ ही अधिकमास (भगवान विष्णु को समर्पित मास) मे होने के चलते यह दिन भगवान विष्णु की उपासना के लिए विशेष माने जाने के साथ ही इसका महत्व भी अधिक होता है। माना जाता है इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत श्री हरि को प्रसन्न करते हैं, जिसके चलते वह अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

पद्मिनी एकादशी 2023 पर विशेष योग
खास बात यह है कि इस बार की पद्मिनी एकादशी (padmini ekadashi 2023 special) पर श्रीहरि विष्णु की पूजा का विशेष संयोग बन रहा है, इस दिन जहां ब्रह्म योग के संयोग का निर्माण हो रहा है। तो वहीं ये भी माना जाता है कि अधिकमास की पद्मिनी एकादशी (padmini ekadashi special) पर राशि अनुसार उपाय और श्रीहरि की पूजा करने से मनचाहा फल प्राप्त होगा।

ब्रह्म योग- इस योग के संबंध में बताया जाता है कि इस योग में की जाने वाली कुछ विशेष प्रकार की कोशिशें सफलता प्रदान करतीं हैं। वहीं शांतिदायक कार्य के अलावा यदि किसी का झगड़ा जैसी स्थितियों को सुलझाना हो तो यह योग अति लाभदायक माना जाता है।

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पद्मिनी एकादशी (padmini ekadashi special) के दिन ऐसे करें पूजन-
इस तिथि पर ब्रह्म मुहूर्त में स्नानादि के पश्चात विधि पूर्वक भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। साथ ही इस दिन निर्जल व्रत रखते हुए विष्णु पुराण को सुनना या उसका पाठ करना चाहिए। इसके अलावा रात में भजन कीर्तन करते हुए जागरण करना चाहिए। यहां इस बात का भी ध्यान रखें कि इस दौरान रात्रि में प्रति पहर भगवान विष्णु और शिवजी की पूजा अवश्य करें। साथ ही हर प्रहर में भगवान (padmini ekadashi special 2023) को अलग-अलग चीजें भेंट करें जिनमेें- प्रथम प्रहर में नारियल अर्पित करें तो वहीं दूसरे प्रहर में बेल इसके बाद तीसरे प्रहर में सीताफल जबकि 4थे प्रहर में नारंगी और सुपारी आदि। इसके पश्चात द्वादशी के दिन सुबह फिर भगवान की पूजा करने के बाद ब्राह्मण को भोजन कराकर समार्थनुसार दक्षिणा देकर उसे विदा करें। इसके बाद ही व्रत कर्ता भोजन ग्रहण करे।

ऐसे समझें पद्मिनी एकादशी का महत्व-
भगवान विष्णु जी को अति प्रिय पद्मिनी एकादशी (padmini ekadashi special) के संबंध में मान्यता है कि इस व्रत का विधि पूर्वक पालन करने वाला विष्णु लोक को जाता है और सभी प्रकार के यज्ञों, व्रतों एवं तपस्चर्या का फल प्राप्त कर लेता है।


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पद्मिनी एकादशी व्रत कथा-
पद्मिनी एकादशी (padmini ekadashi) कर पौराणिक कथा के अनुसार, त्रेता युग में एक पराक्रमी राजा की तृवीर्य थे। इस राजा की कई रानियां होने के बावजूद राजा को किसी भी रानी से पुत्र प्राप्त नहीं हुआ। ऐसे में राजा और उनकी रानियां तमाम सुख सुविधाओं के बावजूद संतानहीने के चलते दुखी थे। अपने इस दुख की समाप्ति के लिए और संतान की कामना से राजा अपनी रानियों के साथ तपस्या के लिए चले गए। जिसके बाद हजारों वर्ष तक तपस्या करते हुए राजा की सिर्फ हड्डियां ही बाकि रह गयी लेकिन, उनकी तपस्या इस पर भी सफल न हुई। तब रानी ने तब देवी अनुसूया से इसका उपाय पूछा तो देवी अनुसूया ने उन्हें पुरुषोत्तम मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी (padmini ekadashi Vrat) का व्रत करने को कहा।

यहां अनुसूया ने रानी को व्रत के विधान की भी जानकारी दी। इसके बाद रानी ने देवी अनुसूया के बताए विधान के अनुसार पद्मिनी एकादशी (padmini ekadashi) का व्रत किया। व्रत की समाप्ति पर भगवान ने प्रकट होकर वरदान मांगने को कहा। इस पर रानी ने भगवान से कहा हे प्रभु यदि आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो मेरी जगह मेरे पति को वरदान (padmini ekadashi) प्रदान करें। इस पर भगवान राजा के सामने प्रकट हुए और उससे से वरदान मांगने के लिए कहा। जिस पर राजा ने भगवान से प्रार्थना करते हुए कहा कि आप मुझे ऐसा पुत्र प्रदान करें जो सर्वगुण सम्पन्न हो और वह तीनों लोकों में आदरणीय होने के अलावा और आपके अतिरिक्त किसी अन्य से पराजित न हो सके। इस पर भगवान तथास्तु कह कर अंर्तध्यान हो गए। कुछ समय बाद रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया जो कार्तवीर्य अर्जुन के नाम से प्रसिद्ध हुआ। आगे चल कर यह बालक अत्यंत पराक्रमी राजा बना, जिसने एक समय रावण को तक बंदी बना लिया। मान्यता हैं कि सबसे पहले पुरुषोत्तमी एकादशी के व्रत की कथा सुनाकर इसके माहात्म्य से भगवान श्रीकृष्ण ने ही अर्जुन को अवगत कराया था।