20 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Shri Krishna Janma stuti : जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण लला का जन्म होते ही पढ़ें यह जन्म स्तुति, हो जाएगी हर इच्छा पूरी

Shri Krishna Janma stuti : इस स्तुति के पाठ से श्री भगवान कृष्णचंद्र प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्त की सभी इच्छा पूरी होने का आशीर्वाद देते हैं।

2 min read
Google source verification
Aarti of Lord Krishna on Janmashtami

जन्माष्टमी पर पढ़ें भगवान श्रीकृष्ण की आरती

जन्माष्टमी के दिन रोहिणी नक्षत्र में श्रीकृष्ण लला का जन्म होते ही इस जन्म स्तुति का पाठ भाव पूर्वक करें। इसके पाठ से श्री भगवान प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्त की सभी इच्छा पूरी होने का आशीर्वाद देते हैं।

 

Janmashtami Puja Vidhi Shubh Muhurat : जन्माष्टमी पर्व पूजा विधि एवं शुभ मुहूर्त

 

।। श्री कृष्ण जन्म स्तुति ।।

भये प्रगट गोपाला दीनदयाला यशुमति के हितकारी।
हर्षित महतारी सुर मुनि हारी मोहन मदन मुरारी ॥
कंसासुर जाना मन अनुमाना पूतना वेगी पठाई।
तेहि हर्षित धाई मन मुस्काई गयी जहाँ यदुराई॥
तब जाय उठायो हृदय लगायो पयोधर मुख मे दीन्हा।
तब कृष्ण कन्हाई मन मुस्काई प्राण तासु हर लीन्हा॥
जब इन्द्र रिसायो मेघ पठायो बस ताहि मुरारी।
गौअन हितकारी सुर मुनि हारी नख पर गिरिवर धारी॥
कन्सासुर मारो अति हँकारो बत्सासुर संघारो।
बक्कासुर आयो बहुत डरायो ताक़र बदन बिडारो॥
तेहि अतिथि न जानी प्रभु चक्रपाणि ताहिं दियो निज शोका।


ब्रह्मा शिव आये अति सुख पाये मगन भये गये लोका॥
यह छन्द अनूपा है रस रूपा जो नर याको गावै।
तेहि सम नहि कोई त्रिभुवन सोयी मन वांछित फल पावै॥

नंद यशोदा तप कियो , मोहन सो मन लाय।
देखन चाहत बाल सुख , रहो कछुक दिन जाय॥
जेहि नक्षत्र मोहन भये ,सो नक्षत्र बड़िआय।
चार बधाई रीति सो , करत यशोदा माय॥

 

उपरोक्त जन्म स्तुति का पाठ करने के बाद हाथ जोड़कर इस कृष्ण वन्दना का गायन कृष्णचंद्र का ध्यान करते हुए करें।

यदु- नन्द नन्दन देवकी- वसुदेव नन्दन वन्दनम्।
मृदु चपल नयननम् चंचलम् मनमोहनम् अभिनन्दनम्।।
मस्तक मुकुट पर- मोर , कर मुरली मधुर धर मंगलम्।
तन पीत अम्बर वैजयन्ती कण्ठ , कर्णम् कुण्डलम्।।
गौ ग्वाल गोकुल गोपियाँ , जल जमुन गिरि गोवर्धनम्।
शुचि बाल कौतुक चरित पावन , असुर- रिपु- दल भन्जनम्।।


स्वर्णिम प्रभा सुषमा सुखदतम् नील वर्णम् सुन्दरम्।
वह धन्य है बृज- भूमि जहँ कण- कण रमे राधेश्वरम्।।

कुरुक्षेत्र सारथि- पार्थ नायक महाभारत श्रेष्ठतम्।
सर्वत्र तुम ही विराट हो सर्वज्ञ भी अति सूक्ष्मतम्।।


उपदेश प्रेरित सजग गीता- ज्ञान अर्जुन केशवम्।

अवतार जगदाधार नव उत्थान सन्त सनातनम्।।
क्षिति शेष पद्मा पद्म कर गद शंख चक्र- सुदर्शनम्।
मति भ्रमित भौतिक भोग भव अनुरक्त मन कामायनम्।।
चिर- भक्ति सर्व समर्पितम् उद्घोष जय जगदीश्वरम्।
प्रति- श्वाँस हृदय सुवास हो दृग- दर्श हे! करुणाकरम्।।
मम् मुदित मन- मन्दिर बसो हे ! सतत् श्यामा श्यामलम्।
सद्बुद्धि सद्गति प्राप्य हो उद्धार भक्त- सुवत्सलम्।।
योगेश्वरम् सर्वेश्वरम् राधेरमण ब्रजभूषणम्।
हे! माधवम् मधुसूदनम् जय जयति जय नारायणम्।।

***********