
राजस्थान के वो गणेश मंदिर, जहां की मान्यताएं हैं बेहद खास, सिर्फ दर्शन से पूरी होती है मनोकामना
भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है। यही कारण है कि हर शुभ काम करने से पहले गणेश का नाम लिया जाता है और उनकी पूजा की जाती है। हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार, श्री गणेश की कृपा प्राप्ति से जीवन के सभी असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं।
हर महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी व्रत कहा जाता है। इस व्रत को करने से ऋद्धि-सिद्धि और समस्त सुख-सुविधाएं मिलती है। अगर आपके किसी कार्य में रुकावट आ रही है या जीवन में अशुभ घटनाएं हो रही हैं तो विनायक चतुर्थी के दिन भगवान श्री गणेश की विधि-विधान से पूजा करेंगे तो आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाएंगी।
विनायक चतुर्थी शुभ मुहूर्त: 30 नवंबर दिन शनिवार, 11.07 बजे से 13.11 बजे तक
विनायक चतुर्थी पूजा विधि
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म से निवृत्त होने के बाद स्नान करें और लाल रंग के वस्त्र धारण करें। इसके बाद दोपहर में भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें।
पूजा संकल्प के बाद षोडशोपचार पूजन कर श्री गणेश की आरती करें। इसके बाद श्री गणेश की मूर्ति पर सिन्दूर चढ़ाएं और 'ऊँ गं गणपतयै नम:' मंत्र का जप करें।
श्री गणेश की प्रतिमा पर 21 दूर्वा चढ़ाएं और बूंदी के 21 लड्डुओं का भोग लगाएं।
पूजन के समय श्री गणेश स्तोत्र, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक गणेश स्त्रोत का पाठ करें। इसके पश्चात ब्राह्मण को भोजन करवाकर दक्षिणा दें।
शाम के समय गणेश चतुर्थी कथा, गणेश चालीसा, गणेश पुराण आदि का पाठ करें और भगवान गणेश की आरती करें। इसके बाद ही भोजन ग्रहण करें।
Published on:
29 Nov 2019 12:11 pm
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