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श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह का समापन

कई जन्मों के पुण्य से मिलता है भागवत कथा श्रवण का अवसर : पं. शैलेन्द्र शास्त्री

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श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह का समापन

कई जन्मों के पुण्य से मिलता है भागवत कथा श्रवण का अवसर : पं. शैलेन्द्र शास्त्री

गाडरवारा। नगर के काबरा परिसर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के व्यास पीठ पर आसीन पं. शैलेन्द्र शास्त्री ने कथा के सातवें व अंतिम दिवस के अवसर पर,भगवान के मथुरा आगमन, कंस वध, देवकी-वसुदेव जी को कारावास से मुक्ति एवं माता देवकी एवं भगवान श्रीकृष्ण के मिलन, कृष्ण जी द्वारा राधा जी की परीक्षा, देवकी के नाम यशोदा का संदेश, बृज वासियों, यशोदा एवं राधा की विरह वेदना का उद्धव प्रसंग के माध्यम से सुंदर चित्रण किया गया। कथा की समाप्ति सुदामा चरित प्रसंग की कथाओं को श्रवण कर श्रोताओं को भक्ति रस में सराबोर होने का अवसर मिला। कथा में शास्त्री जी ने पुत्र और मां के बीच के प्रेम के बारे में बताया। इस कथा में उन्होंने बताया किस तरह भगवान जब देवकी जी से मिले और देवकी के अपार प्रेम के बाद भी वह अपनी माता यशोदा को नजरअंदाज नहीं कर पाए और भगवान असमजंस में पड़ गए कि वह अपनी दोनो माताओं में से किसके प्रति समर्पित हों। इस पर शास्त्री जी ने कहा कि यदि एक मां अपने हाथ से अपने पुत्र को खाना परोस दे तो वह पुत्र तृप्त हो जाता है। ठीक उसी तरह जिस तरह मघा नक्षत्र में पानी के बरसने से पृथ्वी तृप्त होती है।
कथा के अगले संदर्भ में शास्त्री जी ने गौ दान के महत्व के बारे में वर्णन से बताया। उन्होंने बताया कि गौ दान का हमारे जीवन में क्या महत्व है। प्रत्येक प्राणी को जीवन में गौ दान जैसे पुन: कार्य अवश्य करना चाहिए। इस अवसर पर काबरा परिवार द्वारा पांच गौ का दान किया गया। भागवत कथा के अंतिम दिन श्रोताओं की बड़ी संख्या में उपस्थिति दर्ज हुई। इस अवसर पर गाडरवारा सभी गणमान्य लोग एवं भारी संख्या में श्रोतागण उपस्थित रहे।