सूत्रों की मानें तो नोएडा में रहने वाले वीरेंद्र सिंह गाजियाबाद की सीबीआर्इ ब्रांच में तैनात हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने कासना थाने में दर्ज यमुना एक्सप्रेस वे प्राधिकरण में हुए 126 करोड़ के जमीन खरीद घोटाले में आरोपियों से समझौता कराने आैर कार्रवार्इ से बचाने के लिए सेटिंग की थी। इस केस में खुद व अन्य आरोपियों बचाने के लिए रणवीर सिंह ने यूपी पुलिस के अधिकारियों व कर्मचारियों की मदद से सीबीआर्इ के इन दोनों अधिकारियों के साथ मिलीभगत की।
जानकारी के मुताबिक, रणवीर सिंह ने दोनों अधिकारियों को 31 जनवरी को दस लाख रुपये रिश्वत भी दी। यह राशि घोटाले में खुद व अन्य को बचाने आैर हिरासत के दौरान प्रताड़ना से बचने के लिए थी। इसके बाद जांच में सहयोग के लिए रणवीर सिंह ने कुछ दिन पहले ही समर्पण किया था। वहीं सीबीआइ के दोनों अधिकारियों ने मामले को रफा-दफा करने के लिए रणवीर से 25 लाख रुपये और मांगे। 22 लाख रुपये में बात तय हुर्इ। रविवार को 22 लाख रुपये बतौर रिश्वत वीरेंद्र सिंह राठौर के नोएडा स्थित फ्लेट पर पहुंचाए गए। इसके बाद दिल्ली सीबीआर्इ एसी-6 ब्रांच की टीम ने छापेमारी कर इंस्पेक्टर को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।