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मौत की पगडंडी पर कुछ इस तरह सफर कर स्कूल जाते हैं बच्चे, देखें दिल दहलाने वाला वीडियो

जान को खतरे में डालकर स्कूल जाते हैं बच्चे।

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शक्ति ठाकुर

हापुड़। केंद्र सरकार द्वारा देश के प्रत्येक गांवों को हाईवे से जोड़ने के लिए प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना शुरु की गई है। लेकिन हापुड़ में अधिकारियों की लापरवाही से यह योजना महज एक दिखावा साबित हो रही है। जी हां, दिल्ली से महज 45 किमी दूर एनसीआर से सटे जनपद हापुड़ में आज भी एक ऐसा गांव है जहां ग्रामीण,किसान व स्कूली बच्चे अपनी जान को खतरे में डालकर लकड़ी के जर-जर हो चुके पुल को पार कर शहर आते-जाते हैं। ग्रामीणों द्वारा अधिकारियों से लाख शिकायत के बाद भी इस लकड़ी के पुल को ठीक नहीं कराया गया है। जिसके चलते आज भी बच्चों को मौत की पगडंडी को पार कर स्कूल जाना पड़ता है। वहीं वाहनों से ग्रामीणों को शहर जाने के लिए 12 किमी का चक्कर काटना पड़ रहा है।

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थाना बाबूगढ़ के गांव गजालपुर के लोगों को पांच साल पूर्व जिला मुख्यालय हापुड़ आने के लिए खुद 70 हजार का चंदा एकत्र कर काली नदी पर लकड़ी का झूला पुल बनवाने के लिए मजबूर होना पड़ा था। आज लकड़ी का ये झूला पुल टूट चुका है। जिसके चलते करीब आधा दर्जन गांवों के लोगों को जल्दी जिला मुख्यालय जाने के लिए इस मौत के पुल से जाना पड़ रहा है। किसान और स्कूली छात्र भी अब टूटे पुल के सहारे ही काली नदी को पार करने के लिए मजबूर हो रहे हैं। इसके अलावा वाहन से शहर जाने के लिए विगास के रास्ते बाबूगढ़ कस्बे से होकर ग्रामीण, स्कूली बच्चों को 12 किलोमीटर का ज्यादा सफर करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

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ग्रामीणों का कहना है कि इस काली नदी पर पुल बनाने के लिए वह सिंचाई विभाग, जिला पंचायत, ग्राम पंचायत तथा पीडब्ल्यूडी विभाग से फरयाद लगा चुके हैं। लेकिन कोई भी विभाग काली नदी पर पुल बनाने के लिए तैयार नहीं है। लोगों का कहना है कि जब क्षेत्र के बीजेपी सांसद से पुल बनवाने की बात की गई तो उन्होंने भी गांव को बॉर्डर पर बता मामले से पल्ला झाड़ लिया। वहीं कुछ किसानों ने अपना दर्द बताया कि हमारे खेत काली नदी के दूसरी तरफ हैं। पुल टूटने के कारण खेत पर आने-जाने के लिए 12 किलोमीटर का चक्कर काटना पड़ रहा है।

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गौरतलब है कि आज भी गांव गजालपुर के ग्रामीण कष्टकारी जीवन जीने के लिए मजबूर हो रहे हैं। पुल का निर्माण न होने के कारण ग्रामीणों में अधिकारियों के प्रति रोष है। वहीं ग्रामीणों का कहना है के अगर पुल का निर्माण अधिकारियों ने नहीं कराया तो ये पूर्व की तरह खुद ही चंदा एकत्र कर पुल का निर्माण कराएंगे। वहीं जब सीडीओ दीपा रंजन से इस जर्जर हो चुके पुल के बारे में बताया गया तो उन्होंने जल्द समाधान की बात कही।


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