
उप-चुनाव
गोरखपुर। आखिरकार गोरखपुर उपचुनाव की तारीखों का ऐलान हो ही गया। गोरखपुर में खाली हुई संसदीय सीट पर उपचुनाव 11 मार्च 2018 को संपन्न कराया जाएगा। गोरखपुर संसदीय सीट पर उपचुनाव योगी आदित्यनाथ के इस्तीफे के बाद हो रहे।
यहां के सांसद रहे योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने गोरखपुर संसदीय सीट पर से इस्तीफा दे दिया था। इस इस्तीफे के बाद से चुनाव की कवायद तेज हो गई थी। लेकिन तारीखों के ऐलान नहीं होने से विपक्ष लगातार सत्ता पक्ष पर हमलावर था।
गोरखनाथ मंदिर के प्रभाव क्षेत्र वाली है संसदीय सीट
गोरखपुर संसदीय क्षेत्र में रहने वालों का पूर्वान्चल के प्रसिद्ध पीठ गुरु गोरखनाथ मंदिर से गहरी आस्था रही है। यही वजह है कि इस मंदिर का आशीर्वाद लेकर जो भी प्रत्याशी चुनाव लड़ता रहा वह जीतता रहा। हालांकि, गोरखनाथ मंदिर के महंत रहे कई गुरुओं ने राजनीति में रूचि दिखाई और लोगों ने हाथोंहाथ लिया। 1967 में ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ पहली बार गोरखपुर से संसदीय चुनाव लड़े। इस चुनाव में जनता ने भरपूर समर्थन दिया और वह चुनाव जीत गए। उनके ब्रह्मलीन होने के बाद महंत अवेद्यनाथ ने संसदीय उपचुनाव में भाग लिया। जनता ने महंत अवेद्यनाथ को भी सांसद के रूप में स्वीकार किया। बता दें कि महंत अवेद्यनाथ इसके पहले पांच बार विधायक रह चुके थे। वह अपना पहला विधानसभा चुनाव हार गए थे। 1989 में महंत अवेद्यनाथ फिर गोरखपुर के सांसद चुने गए। इसके बाद वह लगातार गोरखपुर संसदीय चुनाव जीतते रहे। 1998 में उन्होंने राजनीति से संन्यास लेने के बाद अपनी सीट उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ को सौंप दी। 1998 में गोरखपुर से 12वीं लोकसभा का चुनाव जीतकर योगी आदित्यनाथ संसद पहुंचे तो वह सबसे कम उम्र के सांसद थे। योगी आदित्यनाथ 26 साल की उम्र में पहली बार सांसद बने थे। योगी आदित्यनाथ 1998 से लगातार गोरखपुर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। 2014 में पांचवी बार वह गोरखपुर से सांसद बने थे। लेकिन 2017 में उनके मुख्यमंत्री बनने और एमएलसी निर्वाचित होने के बाद गोरखपुर संसदीय सीट खाली है।
Updated on:
09 Feb 2018 12:10 pm
Published on:
09 Feb 2018 11:44 am
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