
SC latest decision on SC, ST reservation in government jobs
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में शिक्षकों की नियुक्तियों पर विवादों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। एक तरफ जहां यूजीसी बार-बार सकुर्लर जारी कर आदेश जारी कर रही वहीं विवि आदेशों को माने बिना निरंतर इंटरव्यू प्रक्रिया को जारी रखते हुए नियुक्तियों को अंतिम रूप देता जा रहा है। जबकि 19 जुलाई को यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों को पत्र जारी कर समस्त प्रकार की शिक्षक नियुक्तियों पर रोक लगाने का आदेश दिया है।
आरक्षण कैसे तय हो यह फंसा है मामला
दरअसल, विवि में नियुक्तियों को लेकर जो पेंच फंसे हैं वह आरक्षण तय करने को लेकर है। विभाग को यूनिट मानकर आरक्षण तय हो या विवि को यूनिट मानकर इस पर गतिरोध है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक प्रकरण में विभाग को यूनिट मानते हुए आरक्षण तय करने का आदेश दिया। इस निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में वाद दायर है। केंद्र सरकार और मानव संसाधन विकास मंत्रालय भी इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में है। बीते 20 अप्रैल को यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों को गाइडलाइन जारी किया है कि शिक्षकों की नियुक्तियों में विवि को इकाई मानकर आरक्षण तय किया जाए न कि विभाग को।
गोरखपुर विवि में विभाग को इकाई मानकर हो रही है नियुक्तियां
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विवि में कई साल से फंसी नियुक्तियों को आनन फानन में किया जा रहा। दो सौ से अधिक प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर होने वाली नियुक्तियों में 22 विभागों के 142 पदों पर नियुक्तियां कराने के बाद उनका अनुमोदन भी दो चरणों में करा लिया गया है। बाकी पदों पर नियुक्तियों के लिए साक्षात्कार जारी है। विवि इन नियुक्तियों को विभाग को इकाई मानकर कर रहा है।
नियुक्तियों में धांधली के लग रहे आरोप
विवि द्वारा की जा रही नियुक्तियों में धांधली के भी आरोप लग रहे। आरक्षण संबंधी आदेशों को दरकिनार कर नियुक्तियों में हो रहे खेल के आरोप तो लग ही रहे हैं, चहेतों को नियुक्ति करने और धन के बंदरबांट का भी आरोप खूब लग रहा। आलम यह कि सोशल मीडिया पर यह प्रकरण छाया हुआ है। यूजीसी से लेकर एमएचआरडी तक शिकायतों का पुलिंदा पहुंच रहा। बीते दिनों विभिन्न संगठनों ने नियुक्तियों में मानकों की अनदेखी पर आंदोलन भी किया था।
यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों में नियुक्ति पर लगाई रोक
यूजीसी ने देश के समस्त विश्वविद्यालयों में शिक्षक भर्ती पर रोक लगा दिया है। यूजीसी ने विवि के समस्त रजिस्ट्रार्स को इस बाबत पत्र जारी किया है। यूजीसी के इस लेटर के बाद गोरखपुर विवि में भी नियुक्ति पर पेंच फंसने की आशंका जताई जा रही थी। लेकिन विवि प्रशासन अभी ऐसे किसी आदेश से इनकार कर दिया है। हालांकि, विवि प्रशासन का कहना है कि राज्य विवि यूजीसी के सकुर्लर को मानने के लिए बाध्य नहीं है। वह राज्य सरकार के आदेश तक कोई कदम नहीं उठा सकता।
जबकि यूजीसी ने अपने आदेश में साफ कहा है कि आरक्षण को लेकर उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित है। ऐसे में तत्काल प्रभाव से समस्त प्रकार की नियुक्तियों पर रोक लगाई जाए।
तो फिर यूजीसी का औचित्य क्या
केंद्र सरकार और यूजीसी पहले भी आरक्षण को लेकर अपनी स्थिति साफ कर चुकी है। उधर, गोरखपुर विवि अपने तर्क के साथ शिक्षक नियुक्ति को जारी रखे हुए है। यूजीसी ने दूसरी बार पत्र लिखकर शिक्षक नियुक्तियों पर रोक की बात कही है। ऐसे में सवाल उठने लाजिमी है कि यूजीसी के आदेश जब विश्वविद्यालयों में प्रभावी नहीं तो इस संस्था का औचित्य क्या है।
Published on:
20 Jul 2018 03:26 pm
बड़ी खबरें
View Allगोरखपुर
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
