scriptतीसरे समझौते के साथ अलग बोडोलैंड की मांग खत्म, 34 साल से चले आंदोलन का पटाक्षेप | Assam News: Bodoland Demand Ended Due To Third Bodo Agreement | Patrika News

तीसरे समझौते के साथ अलग बोडोलैंड की मांग खत्म, 34 साल से चले आंदोलन का पटाक्षेप

locationगुवाहाटीPublished: Jan 27, 2020 07:54:25 pm

Submitted by:

Prateek

Assam News: जहां राज्य के (Third Bodo Agreement) बोड़ो (Bodo Agreement) लोगों में (Assam News) इससे (Bodoland) उत्साह (Bodoland Demand) का माहौल (Bodoland Movement) है वहीं गैर बोडो लोगों में इससे आशंकाएं पैदा हो गई है…
 

तीसरे समझौते के साथ बोडोलैंड की मांग खत्म, 34 साल से चले आंदोलन का पटाक्षेप

तीसरे समझौते के साथ बोडोलैंड की मांग खत्म, 34 साल से चले आंदोलन का पटाक्षेप

(गुवाहाटी,राजीव कुमार): पिछले 34 सालों से चली आ रही अलग बोडोलैंड राज्य और अलग बोडो राष्ट्र की मांग पर सोमवार को दिल्ली में हुए तीसरे बोड़ो समझौते के साथ ही एकबार विराम लग गया है। बोड़ो इलाके में अब एक बार फिर पूरी तरह शांति का वातावरण दिखेगा। जहां राज्य के बोड़ो लोगों में इससे उत्साह का माहौल है वहीं गैर बोडो लोगों में इससे आशंकाएं पैदा हो गई है।

यह भी पढ़ें

मालकिन की दरियादिली ने संवारा जिनू का जीवन, Khelo India Youth Games 2020 में जीता कांस्य

जहां दिल्ली में समझौते पर चर्चा हो रही थी वहीं निचले असम के कई जिलों में कई गैर बोडो संगठनों की ओर से समझौते के खिलाफ बुलाए गए 12 घंटे के बंद ने सामान्य जनजीवन को प्रभावित किया। सुबह पांच बजे से बुलाए गए बंद का सर्वाधिक असर चिरांग और बंगाईगांव जिलों में दिखाई दिया। बंद समर्थकों ने कई स्थानों पर सड़कों पर टायर जलाकर वाहनों की आवाजाही ठप कर दी।

 

बंद में यह संगठन शामिल…

12 घंटे के बंद का आह्वान करने वाले संगठनों में मुख्य रूप से अखिल कोच-राजवंशी छात्र संस्था (अक्रासू), नाथयोगी छात्र संस्था, अखिल बोड़ो अल्पसंख्यक छात्र संस्था, अखिल आदिवासी छात्र संस्था, गैर बोड़ो सुरक्षा समिति और कलिता जनगोष्ठी संस्था शामिल हैं। अक्रासू के एक धड़े के नेता विश्वजीत राय ने कहा गैरलोकतांत्रिक व्यवस्था को हम होने नहीं दे सकते। इसलिए विरोध कर रहे हैं। अक्रासू के अन्य धड़े के नेता गोपाल बर्मन ने कहा कि समझौते से शांति नहीं अशांति होगी। गैर बोड़ो सुरक्षा समिति के नेता ब्रजेन महंत ने कहा कि आज का दिन असम के लोगों के लिए काला दिन है। इन्हें समझौते के जरिए बोडो टेरोटेरियल रीजन दिया गया है। धीरे-धीरे ये एक-एक चीजें ले रहे हैं। कोकराझाड़ के सांसद नव शरणीया ने कहा कि अब हम अपने अधिकारों के लिए और अधिक सजग होंगे। हम अपना अधिकार खींच लाएंगे। समझौते के बाद की पूरी स्थिति की समीक्षा होगी।

 

बता दें कि लंबे समय से बोडो संगठनों की तरफ से अलग बोडोलैंड की मांग की जा रही थी। लंबे समय तक चले आंदोलन के दौरान कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। हिंसक गतिविधियों को अंजाम देने वाले कईं संगठनों को उग्रवादी संगठन करार दिया गया। अब समझौते के बाद सकारात्मक माहौल बनने की आशा है।

 

यह भी पढ़ें

असम ने रचा इतिहास, एक साथ 644 उग्रवादियों ने छोड़े हथियार, CM ने किया स्वागत

 

बोडो समझौते का किसको होगा फायदा

बोडो टेरोटेरिलय कौंसिल (बीटीसी) के चुनाव होने हैं। इसके पहले समझौता हुआ है। अगले साल असम में अप्रैल में विधानसभा चुनाव होने हैं। समझौते से भाजपा को फायदा होने की संभावना है। फिलहाल बीटीसी की सत्ता में रहने वाली बोडो पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) असम की भाजपानीत सरकार में सहयोगी है। बोडो बहुल इलाकों में विकास की जो योजनाएं समझौते के तहत घोषित की गई है उससे बोडो बहुल इलाकों में भाजपानीत सरकार को चुनाव में फायदा होने के साथ ही बोडो इलाकों में बीपीएफ की स्थिति भी बेहतर होगी। हो सकता है फिर बीटीसी के चुनाव में वह परचम लहराए।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो