मालूम हो कि असम सरकार एक जनसंख्या नीति कैबिनेट में पास कर चुकी है जिसके अनुसार जिनके दो से अधिक बच्चे है वह 2021 से सरकारी नौकरी के लिए योग्य नहीं होंगे। इसके बाद ही अजमल का यह बयान आया था। इस बयान की चहुं ओर निंदा हो रही है।
मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए सरकार ने जो नीति ली है उसका पालन करना ही होगा। यह स्पष्ट है। किसी भी वजह से जनसंख्या नीति को लेकर कोई समझौता नहीं होगा।
पूर्व मुख्यमंत्री तथा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तरुण गोगोई ने कहा कि शिक्षित समाज सदा ही जनसंख्या नियंत्रित करता आया है और इसका समर्थन करते आया है। इसमें धर्म की बात नहीं आती। अजमल ने जो बात कही है वह कहना अनुचित और अस्वीकार्य है।
अजमल के बयान का विरोध करते हुए असम विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता देवव्रत सैकिया ने कहा कि 1951 में भारत की जनसंख्या नियंत्रण के लिए कांग्रेस ही नीति लाई थी। यह नई बात नहीं है। सत्तर-अस्सी के दशक में नारा दिया गया था,हम दो- हमारे दो। सार्वजनिक स्थानों पर इसके हार्डिंग लगे थे। इन सबके होते हुए अजमल ने जो बयान दिया है वह सही नहीं है।
अगप अध्यक्ष तथा राज्य के कृषि मंत्री अतुल बोरा ने कहा कि जनविस्फोट अब सिर्फ असम की ही नहीं भारत की बड़ी समस्या है। जन्म नियंत्रित न करने से आने वाले दिनों में असम में स्थिति अधिक भयावह होगी। बोरा ने कहा कि अजमल का बयान निंदनीय है। वहीं बीपीएफ की नेता तथा राज्य की समाज कल्याण मंत्री प्रमिला रानी ब्रह्म ने कहा कि राज्य सरकार की जनसंख्या नीति अजमल के राजनीति के लिए खतरा है इसलिए अजमल इसका विरोध कर रहे हैं। पर सरकार इस कानून को लागू किसी भी कीमत पर लागू करेगी।
राज्य के वित्त मंत्री डा.हिमंत विश्व शर्मा ने कहा कि अजमल मुसलमानों को सदैव दरिद्रता में रखना चाहते हैं। इसलिए वे मुसलमानों को जितना सके उतने बच्चे पैदा करने को कह रहे हैं। अजमल का और एक लक्ष्य है कि राज्य में स्वदेशी लोगों की संख्या कम रहे। वे इसलिए भी इस तरह की राजनीति कर रहे हैं।