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दोस्त के लिए गंवाया हाथ, चोट के बाद भी नेशनल गेम्स में कमाया नाम, राष्ट्रीय स्तर पर पाया चौथा स्थान

दोस्त के लिए गंवाया हाथ, चोट के बाद भी नेशनल गेम्स में कमाया नाम, राष्ट्रीय स्तर पर पाया चौथा स्थान

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दोस्त के लिए गंवाया हाथ, चोट के बाद भी नेशनल गेम्स में कमाया नाम, राष्ट्रीय स्तर पर पाया चौथा स्थान

पवन दीक्षित @ ग्वालियर

चलती हुई ट्रेन में चढऩे के दौरान दोस्त के फिसलने पर उसे बचाने की कोशिश में एलएनआइपीई (फिजिकल कॉलेज) के जेवलिन थ्रो के खिलाड़ी अजीत सिंह ने पटरियों और प्लेटफॉर्म के बीच गिर जाने के कारण अपना एक हाथ गंवा दिया। उनके शरीर में गंभीर चोटें थी, पंसलियों में फै्रक्चर था, चिकित्सक दाएं पैर में पैरालाइस होने का अंदेशा जता रहे थे, इसके बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और तीन महीने बाद ही मार्च महीने में पंचकुला हरियाणा में आयोजित होने वाली नेशनल गेम्स पैरा एथलेटिक्स में, जेवलिन थ्रो में शामिल होने के लिए प्रेक्टिस शुरू कर दी। इसमें एमपी की ओर से शामिल होने वाले वह अकेले खिलाड़ी थे। शरीर में तमाम चोटों के बाद भी उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया और राष्ट्रीय स्तर पर चौथा स्थान प्राप्त कर प्रदेश का नाम रोशन किया।

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पैरालाइसिस का था अंदेशा

अजीत सिंह ने बताया कि हाथ कट चुका था, पंसलियों में फ्रैक्चर था। दाएं पैर में भी चोटें थी। चिकित्सकों ने पैरालाइसिस का अंदेशा जताया था और दस महीने में बॉडी रिकवर होने की बात कह रहे थे, लेकिन उन्होंने हिम्मत कर फरवरी में ही धीरे-धीरे बेड से उठकर चलने लगे और धीरे-धीरे पे्रक्टिस शुरू कर दी।

दोस्त को बचा लिया, खुद गिर गए

खिलाड़ी अजीत सिंह 3 दिसंबर 2017 को सतना में अपने दोस्त सतेंद्र तिवारी की शादी में गए थे। कामायनी एक्सप्रेस से लौटते समय रात दो बजे मैहर स्टेशन पर उनका दोस्त अंशुमान शुक्ला ट्रेन से पानी लेने उतरा तभी ट्रेन चलने लगी, ट्रेन पकडऩे के दौरान उसका पैर फिसल गया, वह ट्रेन से लटक गया। अजीत ट्रेन के गेट पर खड़े थे, उन्होंने दोस्त को बचाने के लिए उसका हाथ पकड़ा, लेकिन अजीत का हाथ गेट से छूट गया, इससे अंशुमान तो प्लेटफॉर्म पर गिर गए, लेकिन अजीत ट्रेन और प्लेटफॉर्म के बीच के गैप में फंस गए जिस पर से ट्रेन गुजर गई।

36 घंटे तक नहीं मिला उपचार
अजीत ने पत्रिका को बताया कि उसे 36 घंटे तक कोई उपचार नहीं मिला। ट्रेन से गिरने के बाद अंशुमान ने प्लेटफॉर्म पर उठाकर रखा। कुछ देर बाद आरपीएफ का सिपाही आया। उसकी मदद से मैहर जिला चिकित्सालय में ले गए। वहां से सतना रैफर किया गया। सतना में भी चिकित्सकों ने हाथ खड़े कर दिए और जबलपुर रैफर कर दिया। 36 घंटे बाद उपचार शुरू हो सका।